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मानवता का अंत करना चाहता है आतंकवाद : शंकराचार्य

जाले : विश्व में फैल चुका आतंकवाद मानवता का खात्मा करना चाहता है. इसको लेकर देश एवं विदेश में संतों का चिंतन चल रहा है. सरकारें अपना काम कर रही है. सरकारएवं समाज को सही रास्ता दिखलाना और सुझाव पेश करना भी संतों एवं विचाराकों का दायित्व बनता है. श्रीहनुमान आराधना मंडल जैसी आध्यात्मिक एवं […]

जाले : विश्व में फैल चुका आतंकवाद मानवता का खात्मा करना चाहता है. इसको लेकर देश एवं विदेश में संतों का चिंतन चल रहा है. सरकारें अपना काम कर रही है. सरकारएवं समाज को सही रास्ता दिखलाना और सुझाव पेश करना भी संतों एवं विचाराकों का दायित्व बनता है.
श्रीहनुमान आराधना मंडल जैसी आध्यात्मिक एवं सामाजिक सरोकार की सेवाभाव परायण संस्था आतंकवाद पर अंकुश लगाने में अग्रणी भूमिका निभा सकती है. सरकार एवं समाज को इसका सहयोग लेना चाहिए. उक्त बातें मंगलवार को पौराणिक महत्व के ब्रहमपुर स्थित महर्षि गौतम आश्रम (गौतम कुंड) में श्रीहनुमान आराधना मंडल की ओर से आयोजित दो दिवसीय पन्द्रहवां राष्ट्रीय अधिवेशन सह संत समागन में उदघाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि काशी सुमेरूपीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वतीजी महाराज ने कही.
विशिष्ट अतिथि जगद्गुरू श्रीराधाबल्लव दासाचार्य ने कहा कि मानवता की रक्षा में संतो ने सदा से अपना त्याग किया है, वे आज भी कर रहे हैं. समाज में आ चुकी बुराईयों, खामियों एवं संवादहीनता पर संतों को विशेष रूप से चोट करने की जरूरत है.
क्योंकि भगवान की बनाई 84 लाख योणियों में मानव सर्वश्रेष्ठ है. मानवता नहीं बची तो सर्वजीवों का अमंगल तय है.गौतमपीठाधीश्वर श्रीमहावीर शरण दास की अध्यक्षता में अधिवेशन का उदघाटन करते हुए परम्बा शक्तिपीठाधीश्वर स्वामी शक्ति शरनांनद सरस्वतीजी, महाराज उर्फ चंचल बाबा ने कहा कि समाज में माता-पिता, गुरूजनों एवं महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव समाप्त होता जा रहा है, यह हमारे समाज के लिए अति दुखद है.
अध्योध्या के कथा वाचक अशोक दासजी ने कहा कि मिथिला की भूमि स्वर्गस्वरूपा है. यहीं से विश्व कल्याण की लौ जली थी. महर्षि गौतम ने मानवता की रक्षा के लिए पंचध्यायी न्याय सूत्र की रचना की थी तो राजा जनक ने ऐसी राजा की छवि बनाई, जिसकी चर्चा आज भी देश विदेशों में होती है. ऐसी धरती पर ऐसा आयोजन प्रणम्य है.
अधिवेशन को परमेश्वर दासजी महाराज, प्रो़ राम निरंजन पांडेय, डा़ प्रभाकर पाठक, गुलाब दासजी महाराज, रामा शंकर पांडेय आदि ने भी संबोधित किया. डा़ विजय भारद्वाज ने आगत अतिथियों का स्वागत एवं डा़ अमरेन्द्र प्रकाश चौबे ने अधिवेशन के महत्व को इंगित किया.
वहीं पंडित मदन शर्मा शास्त्री ने मंच संचालन किया. अधिवेशन के दौरान साधु-संतो ने अंजनायण नामक स्मारिक का भी विमोचन किया गया. पहले दिन के मुख्य व्यास अमरेन्द्र प्रकाश चौधरी थे. देर शाम झांसी की कथायाचिका भक्ति प्रभा का कथा प्रवचन प्रारंभ हुआ.

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