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मॉनसून सर पे, प्रशासन है बेपरवाह
रेज्ड प्लेटफॉर्म की स्थिति बदहाल, शौचालय भी बेकार बिरौल : मॉनसून ने दस्तक दे दी है. कब बाढ़ आ जायेगी कहना मुश्किल है. चुकी यह बाढ़ प्रभावित वाला क्षेत्र है. कोसी-कमला बलान जैसी कई नदियां उफान पर है. जहां हर वर्ष बाढ़ आना नीयती है. हालांकि बाढ़ से निपटने के लिए बाढ़ से पूर्व पूरी […]
रेज्ड प्लेटफॉर्म की स्थिति बदहाल, शौचालय भी बेकार
बिरौल : मॉनसून ने दस्तक दे दी है. कब बाढ़ आ जायेगी कहना मुश्किल है. चुकी यह बाढ़ प्रभावित वाला क्षेत्र है. कोसी-कमला बलान जैसी कई नदियां उफान पर है. जहां हर वर्ष बाढ़ आना नीयती है. हालांकि बाढ़ से निपटने के लिए बाढ़ से पूर्व पूरी तैयारी जिला प्रशासन द्वारा कहा जा रहा है. परंतु धरातल पर कुछ ऐसा नजारा नहीं देखा जा रहा है जो बाढ़ के पूर्व की तैयारी की हो. वैसे अनुमंडल मुख्यालय परिसर स्थित रेज्ड प्लेटफॉर्म बना हुआ है. लेकिन बाढ़ आने की स्थिति में बाढ़ प्रभावित लोगों को ठहराने की उचित व्यवस्था वहां नहीं है. चापाकल खराब पड़ा है.
शौचालय भी कई जगहों से टूटा पड़ा जजर्र हो चुका है. रेज्ड प्लेटफॉर्म की दीवार कई जगहों से टूट कर गिर रहा है. दीवार में बड़े बड़े पेड़ पौधे जंगल के रुप में उग आये हैं. लेकिन अनुमंडल प्रशासन की नजर इस ओर नहीं जाता या जाता भी है तो उसे वे नजरअंदाज करते हैं. बिरौल पंचायत के रजवा गांव निवासी राजकुमार सिंह का कहना है कि जब बाढ़ आयेगी और लोग प्रभावित हो जायेंगे तब जाकर प्रशासन व्यवस्था में जुटेगी.
उन्होंने कहा कि प्रशासन इस मामले में उदासीन बना हुआ है. सुपौल पंचायत के पूर्व मुखिया अबुल हयात कहते हैं कि बाढ़ से पूर्व कोई तैयारी नजर नहीं आ रहा. प्रशासन को इस दिशा में युद्धस्तर पर कार्य करवाना चाहिए. बता दें कि अनुमंडल क्षेत्र में जितने भी रेज्ड प्लेटफॉर्म है सभी जजर्र हो चुके हैं साथ ही चापाकल और शौचालय भी ठीक नहीं है.
बूंदाबांदी का इंतजार कर रहे किसान
बहेड़ी. तीखी धूप एवं उमस भरी गर्मी के बाद सायं सायं बह रही पुरवईया हवा के बीच यहां के किसान आसमान में छाये बादल से मॉनसून की बूंदाबांदी का इंतजार कर रहे है. लेकिन मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी के अनुसार किसानों को इसके लिए संडे मंडे का इंतजार करना पड़ेगा.
रब्बी की फसल की कटनी के बाद खाली हुए अधिकतर खेतों की जुताई आद्रा नक्षत्र में बारिस नहीं होने के कारण नहीं हो पायी है. खरीफ एवं अगहनी धान के बिचड़े को गिराने का सर्वोतम समय आद्रा एवं रोहिणी नक्षत्र को माना जाता है. लेकिन बारिस नहीं होने के कारण जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं है.
उन्होंने अभी तक बिचड़े नही गिराये है. प्रगतिशील किसान सुशील चौधरी ने कहा कि बिहर पनिया के बाद खरीफ फसल के लिए किसान खेतों की जुताई कर छोड़ देते थे.
लेकिन इस बार बेमौसम की हुई बारिस में रब्बी की फसल भी चली गयी और खरीफ की तैयारी भी नहीं हो सकी. इसीलिए हमलोग आसमान में छाये घने बादल को निहार रहे हैं. ताकि किसान खेतों में बिचड़ा गिराने के बाद जुताई कर सके.
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