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एक बुकिंग क्लर्क के सहारे काम
कमतौल रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधा महज कागजी खानापूर्ति कमतौल : कमतौल रेलवे स्टेशन के बुकिंग क्लर्क के छुट्टी में रहने से आरक्षण का काम नहीं हो सका़ तत्काल टिकट की आस लिए कमतौल रेलवे स्टेशन पहुंचे कई यात्रियों को निराश लौटना पड़ा़ वरदाहा के मो. कमाल, बैंगरा के घनश्याम, अहियारी के कृष्ण मोहन ठाकुर, […]
कमतौल रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधा महज कागजी खानापूर्ति
कमतौल : कमतौल रेलवे स्टेशन के बुकिंग क्लर्क के छुट्टी में रहने से आरक्षण का काम नहीं हो सका़ तत्काल टिकट की आस लिए कमतौल रेलवे स्टेशन पहुंचे कई यात्रियों को निराश लौटना पड़ा़
वरदाहा के मो. कमाल, बैंगरा के घनश्याम, अहियारी के कृष्ण मोहन ठाकुर, मुरैठा के लालबाबू सहित कई लोगों ने बताया की पिछले माह भी दो-तीन दिन बुकिंग क्लर्क के छुट्टी में होने से लोगों को आरक्षण टिकट के लिए भटकना पड़ा़ आये दिन ऐसा होता रहता है़ परंतु अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देत़े टिकट खिड़की पर क्लर्क के छुट्टी में रहने से आरक्षण बंद रहने का नोटिस तो चिपका दिया जाता है, परंतु कठिनाइयों को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता़
स्टेशन अधीक्षक चंदेश्वर ठाकुर ने बताया की बुकिंग क्लर्क के छुट्टी में जाने की सूचना वरीय अधिकारियों को दिया जाता है़ एक ही बुकिंग क्लर्क होने से कठिनाई होती रहती है़ उसके छुट्टी में चले जाने पर काफी मशक्कत से जेनरल टिकट की बिक्री तो की जाती है़ परन्तु आरक्षण का काम ठप्प हो जाता है़ वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्णय शीर्ष लेवल पर लिया जाता है़
बता दें की बड़ी रेल लाइन बनने के बाद कमतौल रेलवे स्टेशन से सामान्य और रिजर्वेशन टिकट की बिक्री से इनकम में कई गुना इजाफा हुआ है. प्रतिदिन 40-50 आरक्षण टिकट और सैंकड़ों जेनरल टिकट की बिक्री होती है़ सिर्फ आरक्षण टिकट से औसतन 40 हजार रूपये प्रतिदिन की आमदनी है़ लेकिन यहां सुविधा के नाम पर मात्र एक विंडो और एक एक बुकिंग क्लर्क है़ जो रिजर्वेशन, तत्काल बुकिंग और सामान्य टिकटों की बिक्री करते हैं
उनके छुट्टी में रहने पर जेनरल टिकट की व्यवस्था एसएम या एएसएम जैसे-तैसे करते हैं परंतु तत्काल और रिजर्वेशन टिकट मिलना बंद हो जाता है़
जिससे यात्रियों को परेशानो तो होती ही है, वहीं रेलवे को भी घाटा होता है़ परन्तु अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रह़े सामान्य समय में पुरुष और महिला यात्री एक ही काउंटर से टिकट लेते हैं ़ सीनियर सिटीजन भी कतार में लग टिकट लेते हैं़
जिससे टिकट खिड़की पर यात्रियों की लंबी लाइन लगी रहती है़ इसके बावजूद यहां पर काउंटर और बुकिंग क्लर्क की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है़
शौचालय, प्रतीक्षालय की हालत दयनीय
कमतौल रेलवे स्टेशन पर ओवर ब्रिज की चर्चा करें तो यहां पर प्लेटफॉर्म एक से तीन पर जाने के लिए यात्रियों को रेल पटरियों को पार करना विवशता है़ बड़ी रेल लाइन निर्माण के समय ओवर ब्रिज निर्माण का प्रस्ताव दिया गया था, परंतु उस दिशा में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई़ यात्रियों को दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए जान जोखिम में डालना पड़ता है़
रेलवे स्टेशन आने-जाने वाली संपर्क सड़क हो या धूप से बचने के लिए लगाये गए यात्री शेड़ प्रतीक्षालय हो या शौचालय, सब कुछ राम भरोसे छोड़ दिया गया है़ पीने के पानी के लिए चापाकल होने के बावजूद लोगों को शीतल पेयजल के लिए भटकना पड़ता है.
शेड भी नहीं, यात्रियों को होती है परेशानी
कमतौल रेलवे स्टेशन को आधुनिक स्वरूप देने के नाम पर भले ही बड़े पैमाने पर धन खर्च किया जाता हो, लेकिन रेल से सफर करने वाले यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं
हाल यह है कि रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाले यात्रियों को ट्रेनों का इंतजार जमीन पर बैठ कर करना होता है़ विभागीय अधिकारी बैठने के लिए पर्याप्त बेंच और कुर्सी होने का दावा तो करते हैं, लेकिन जमीन पर बैठे यात्री इन दावों की पोल खोल देते हैं
जैसे तैसे प्लेटफॉर्म तीन का निर्माण तो हो गया परंतु आम यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं हो पायी़ शेड के अभाव में रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का इंतजार करने के लिए पहुंचने वाले यात्रियों को छांव की तलाश करते जमीन पर बैठे देखा जा सकता है़
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