/रफोटो-13परिचय- रामकथा का प्रवचन करते वेदानंद शास्त्री व उपस्थित श्रोतागणसदर. प्रारब्ध को मानव ही नहीं देवता को भी भोगना पड़ता है. इसके लिए माध्यम भले ही मंथरा बने या कोई और. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मकंु डली 14 वर्षों की वनवास के दौरान राक्षसों का विनाश तथा केवट जैसे वर्षों से गंगा तट पर प्रतीक्षा करनेवाले भक्तों को उद्धार करना था. यदि मंथरा अपनी छलबल से कैकेयी को प्रभावित नहीं करती तो राम वनवास नहीं जाते. रविवार को अललपट्टी के कृष्णानगर मुहल्ला अवस्थित दरभंगा ग्रामीण के विधायक ललित यादव के आवास पर आयोजित रामकथा में व्यास वेदानंद शास्त्री ने अपने प्रवचन में यह बातें कहीं. बीच बीच में व्यास जी संगीत के धुनों पर भी रामकथा श्रोताबंधु को सुना रहे थे. पंडाल के भीतर सैकड़ों की संख्या में जुटे श्रद्धालु भक्त रामकथा का मार्मिक प्रसंग सुनकर भगवान की शरणागत में अपने को लीन कर लिया. कथा समापन के बाद भगवान राम की आरती के समय बज रहे संगीतमय धुनों पर सभी भक्तों के साथ संकल्पी देवसंुदरी देवी अपने परिवारों के साथ रामभक्ति में मग्न रही. वेदानंद शास्त्री के कथा वाचन समाप्ति के बाद सभी भक्तगण प्रसाद ग्रहण कर अपने गंतव्य को बिदा हुए.
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देवता को भी भोगना पड़ता है प्रारंब्ध
/रफोटो-13परिचय- रामकथा का प्रवचन करते वेदानंद शास्त्री व उपस्थित श्रोतागणसदर. प्रारब्ध को मानव ही नहीं देवता को भी भोगना पड़ता है. इसके लिए माध्यम भले ही मंथरा बने या कोई और. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मकंु डली 14 वर्षों की वनवास के दौरान राक्षसों का विनाश तथा केवट जैसे वर्षों से गंगा तट पर प्रतीक्षा […]
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