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कई बच्चे सीढ़ियों से लुढ़क गये

दरभंगा : हर्ष का रोना बंद नहीं हो रहा था, उसकी टीचर उसे अपने साथ रख क र चुप कराने का भरसक प्रयास कर रही थी. लेकिन वो रोता ही जा रहा था. आयूष के शरीर पर तो बेंच ही गिर परा था, उसे चोट लगी थी, लेकिन वह न तो रो पा रहा था […]

दरभंगा : हर्ष का रोना बंद नहीं हो रहा था, उसकी टीचर उसे अपने साथ रख क र चुप कराने का भरसक प्रयास कर रही थी. लेकिन वो रोता ही जा रहा था. आयूष के शरीर पर तो बेंच ही गिर परा था, उसे चोट लगी थी, लेकिन वह न तो रो पा रहा था और न ही भाग पा रहा था.
उसे स्कूल में मौजूद मिस ने हाथ पकड़ कमरे से बाहर निकाला. बाहर आकर उसकी हालत स्कूल प्रबंधन ने जाना. मंगलवार को यह नजारा स्कूलों में दिखा. जब 12.35 मिनट पर भूकंप के झटके लगे तो बच्चों में दहशत भर गया. कोई डर से रो रहा था तो कोई मौन बुत बन गया था. गत 25 अप्रैल को आए भूकंप की याद बच्चे भूला ही रहे थे कि मंगलवार को स्कूल के समय में आया भूकंप का झटका एकबारगी सभी बच्चों को दहला दिया. इससे कुछ समय के लिए स्कूल में अफरा तफरी का माहौल हो गया.
विद्यालय प्रशासन अपनी परवाह किये बगैर बच्चों को किसी प्रकार सुरक्षित बाहर निकालने में कामयाब रहे. इसक्रम में धक्का मुक्की में हल्की फुल्की चोटों के अलावा कोई बड़ी घटना नहीं घटी. हालांकि किसी किसी स्कू ल में सीढ़ियों से उतरने के क्रम में बच्चे लुढ़के, लेकिन उनके सहपाठी एवं शिक्षकों ने तुरंत संभाला, जिसके कारण कोई बड़ी घटना नहीं हुई. इसके तुरंत बाद स्कूल प्रशासन बच्चों को सुरक्षित घर भेजने की जुगत में लग गया.
स्कूलों के बच्चों को बस, साइकिल, रिक्शा आदि से गंतव्य स्थान के लिए विदा करने में लग गये. तभी फिर से दुबारा भूकंप के झटके के कारण बच्चों ने किताब, कॉपी, बैग आदि स्कू ल में ही छोड़कर घर को प्रस्थान करना पड़ा. इस क्रम में घर पर उनके परिवार वाले परेशानी में स्कूल प्रशासन से लगातार संपर्क करते रहे.
बदहवास भागे बच्चे
स्कूली बच्चे बहुमंजली इमारत के वर्ग कक्ष में अध्यापन कर रहे थे. इतने में टेबुल, बेंच आदि हिलने का आभास हुआ. शिक्षक का जैसे ही संके त मिला बच्चे बदहवाश वर्ग कक्ष से निकल कर भागने लगे.
अभिभावक रहे परेशान
इधर भूकंप के पहला झटका के बाद जो बच्चे स्कू ल में थे उनके अभिभावक बेहद परेशान दिखे. अपनी अपनी मोबाइल से स्कू ल प्रशासन से संपर्क कर अपनी बच्चों की खैरियत जानने की बेताबी रही. वहीं कई अभिभावकों को संपर्क नहीं होने पर स्कू लों का रुख करते देखा गया.
इनमें से छोटे छोटे बच्चों की स्थिति बेहद खराब रही. उनके चेहरे पर भय एवं बदहवाश का स्पष्ट झलक देखा जा सकता है. भला हो शिक्षक एवं शिक्षिकाओं का जो पूर्व केअनुभव के आधार पर नन्हें मुन्नो को संभाला.
स्कू लों में अफरातफरी
शहर के करीब एक दर्जन विद्यालयों में भूकंप के वक्त अफरा तफरी का माहौल रहा. एक साथ हजारों बच्चों को संभालना स्कू ल प्रशासन को मुश्किल पड़ रहा था. भूकंप क ा पहला झटका के बाद विद्यालय परिसर में एकत्रित बच्चों में भय का माहौल था.
स्कूल प्रशासन के छूटे पसीने
पहले एवं दूसरे झटकों के बीच बच्चों को परिसर में संभालकर रखने तथा घर भेजने में स्कू ल प्रशासन के पसीने छूट रहे थे. बच्चों को ढांढस बढाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी.
इसी बीच बार बार झटकों की खबर से खासे परेशान दिख रहे थे. उन्हें सुरक्षित घर भेजने की प्राथमिकता बनी हुई थी. उन्हें इस बात का भय सता रहा था कि घर पहुंचने तक बच्चे के साथ कोई अनहोनी नहीं हो.
इसे बॉक्स में डाले
….और स्कूलों में दे दी गई छुट्टी
दरभंगा : भूकंप के पहले झटके के बाद ही स्कूलों में छुट्टी देने की प्रक्रिया शुरु हुई. इतने में ही फिर से ऑफ्टर शॉक की सूचना पाकर स्कूलों ने बच्चों को छुट्टी देने में ही भलाई समझा. वहीं दूसरा झटका के अनुभव के बाद आनन फानन में बच्चों को भेजना शुरु कर दिया गया. बच्चों को साइकिल, रिक्शा, बस व पैदल ही घर की ओर प्रस्थान करते देखा गया.
मुंह से नहीं निकल रही थी आवाज
दरभंगा : भूकंप के दहशत के कारण स्कूल के नन्हे मुन्ने बच्चों को मुंह से आवाज तक नहीं निकल पा रहा था. कुछ पूछने पर भी वे खामोश ही रहे. बड़ी कुरेदने के बाद बस इतना कहते कि जान बच गई किसी तरह भागे. यह स्थिति अधिकांश विभिन्न कक्षाओं के बच्चों ने कहा.
..और रोने लगे बच्चे
भूकंप के दहशत की वजह से छोटे छोटे बच्चों की आंखों से आंसू निकल आए. कई स्कूलों के बच्चों को रोते हुए घर की ओर आते देखा गया. पूछने पर एक अभिभावक ने बताया कि स्कूल से ही बच्चे का रोना थम नहीं रहा है. कितना भी सांत्वना दे रहा हूं मेरी बेटी की आंसू थम नहीं रही है. इस तरह की स्थिति कम उम्र के कई बच्चों में देखा गया.

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