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शुष्क रहेगा मौसम, बारिश की संभावना नहीं

दरभंगा : अगले 10 मई तक मौसम शुष्क रहेगा. आसमान साफ रहेगा. हालांकि कभी कभार हल्के बादल देखे जा सकते हैं. इस दौरान 10 से 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलेगी. यह सतही हवा सामान्य से तेज चल सकती है. तापमान न्यूनतम 22 से 26 डिग्री सेल्सियस एवं अधिकतम तापमान 37 से […]

दरभंगा : अगले 10 मई तक मौसम शुष्क रहेगा. आसमान साफ रहेगा. हालांकि कभी कभार हल्के बादल देखे जा सकते हैं. इस दौरान 10 से 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलेगी. यह सतही हवा सामान्य से तेज चल सकती है. तापमान न्यूनतम 22 से 26 डिग्री सेल्सियस एवं अधिकतम तापमान 37 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है. मौसम वैज्ञानिक आइबी पांडेय ने कहा कि पूर्वानुमान अवधि में बारिश होने की कोई संभावना नहीं है.
गरमा सब्जियों की करें सिंचाई
मौसम वैज्ञानिक ने किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में कहा है कि बसंतकालीन मक्का, ईख, प्याज, सूर्यमुखी, ज्वार, बाजरा, लोबिया एवं गरमा सब्जियों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. इस मौसम में किसान अपने खेतों की मिट्टी जांच करवा लें और खरपतवार, रोग एवं कीट नियंत्रण के लिए पड़ती खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई करं. खेतों की समतलीकरण भी कर लें. गेहूं एवं मक्का के दानों को अच्छी तरह धूप में सूखाने के बाद भंडारण करें. हरी खाद के लिए सनई और ढ़ैचा की बुआई तथा हरा चारा के लिए मक्का, ज्वार, बाजरा एवं लोबिया की बुआई करें. बुआई से पहले खेत में नमी की जांच कर लें.
नमी की कमी होने की स्थिति में खेत में पहले सिंचाई कर बुआई करें. ओल की रोपाई 75- 75 सेन्टी मीटर की दूरी पर करें. रोपाई के लिए
5 किलोग्राम के कन्द का व्यवहार करें. रोपाई से पूर्व कटे कन्द को टइकोडर्मा भिरीडी के 5़0 ग्राम मात्र को प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर उपचारित करने के बाद लगायें ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके. गर्मी वाली साब्जीयां जैसे भिन्डी, नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू) और खीरा की फसल में आवश्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई एवं सिंचाई करें. खीरा वर्गीय फसलों में चूर्णील फफूंदी नामक बीमारी से बचाव के लिए 0़ 06 प्रतिशत केराथेन नामक दवा का छिड़काव करें. लत्तर वाली सब्जियों जैसे नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू) और खीरा में लाल भृंग कीट से बचाव के लिए डाइक्लोरवॉस 76 इसी/ 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.
भिंडी फसल में माइट कीट की निगरानी करते रहें. प्रकोप दिखाई देने पर ईथियॉन / 1़5 से 2 मिली प्रतिली पानी की दर से छिड़काव करें. आम और लीची में कीट के प्रकोप से बचाव हेतु 1 मि. ली. कॉनफिडोर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. लीची के बगीचों में नमी बनाये रखें.इसके लिए सिंचाई की व्यवस्था करें.
पमान के बढ़ने की संभावना को देखते हुए अपने पशुओं को छायादार सुरक्षित स्थानों पर रखें. दूधारु पशुओं के खाने में प्रोटीन की मात्र बढ़ा दें तथा नियमित रुप से दाने के साथ कैल्सियम भी खिलायें. पशुओं को अधिक मात्र में स्वच्छ पानी पिलायें.

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