दरभंगा. मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान में आयोजित नारी सशक्तीकरण एवं बिहार विषयक द्विदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन वक्ताओं ने बिहार के परिप्रेक्ष्य में नारी सशक्तीकरण के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला. विश्वविद्यासलय अनुदान आयोग द्वारा वित्त संपोषित इस राष्ट्रीय सेमिनार के तकनीकी सत्र को स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के उपाचार्य प्रो डॉ जयशंकर झा ने कहा कि वैश्वीकरण के परिप्रेक्ष्य में आज विद्वानों का वृहत्तर दायित्व है कि वे अपने आचरण को अनुकरणीय बनाये. स्नातकोत्तर धर्मशास्त्र विभाग के वरीय प्राचार्य एवं दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के वर्तमान निदेशक डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने किया. डॉ त्रिपाठी ने नवरात्र के क्रम में शक्ति की आराधना के समय मिथिला संस्कृत शोध संस्थान द्वारा नारी सशक्तीकरण पर राष्ट्रीय सेमिनार के आयोजन को ऐतिहासिक महत्व बताया. शिक्षाशास्त्र विभाग की वरीय उपाचार्य एवं विकास पदाधिकारी प्रो डॉ रीता सिंह ने नारी को किसी भी परिवार की रीढ़ की हड्डी मानते हुए कहा कि प्रत्येक माता का यह पुनीत कर्त्तव्य है कि वह अपने बच्चों खासकर पुरुष बच्चों के मस्तिष्क में वाल्यावस्था से ही नारी के प्रति उचित सम्मान देने के संबंध में संस्कारों का आधान करें. कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ मित्रनाथ झा ने प्रस्तुत शारदा वंदना के पश्चात आगत अतिथियों के स्वागत के क्रम में शोध संस्थान के निदेशक डॉ देवनारायण यादव ने संस्थान द्वारा इस प्रकार के अकादमिक कार्यक्रमों के निरंतर आयोजन की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला.
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शोध संस्थान में संगोष्ठी संपन्न
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