/रफोटो- फारबर्ड बेनीपुर. भारतीय संस्कृति में नारियों का उत्तम स्थान है. विदेशों में मर्यादा विहीन समाज में पतिव्रता नारियों का अभाव रहा है. उक्त बातें बुधवार को बेनीपुर सत्संग मंदिर में प्रवचन के दौरान महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर के स्वामी कमलानंदजी महाराज ने कही. उन्होंने कहा कि ईश्वर की दृष्टि में नर-नारी बराबर हैं. सामाजिक सुदृढ़ता के लिए प्राचीन काल के ऋषियों ने वैवाहिक प्रथा को चलाया है. वैवाहिक प्रथा से ही समाज का वातावरण स्वस्थ हुआ है. पतिव्रता नारियों में शांडिल्य, अनसूया, सुलोचना, दमयंती आदि का नाम आता है. पतिव्रता धर्म के पालन से समाज का भविष्य उज्ज्वल होता है और आगे की पीढ़ी गौरवान्वित होती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह स्त्रियों के लिए पतिव्रता धर्म की अपेक्षा है उसी तरह पुरुषों के लिए भी एक पत्नी व्रत की आवश्यकता है. उसी आधार पर परिवार में प्रेम का वातावरण स्थापित रहा है. स्वामीजी ने लोगों को इस व्रत का पालन करते हुए ईश्वर की भी उपासना करते रहने की नसीहत दी. संतमत सत्संग के आयोजक श्याम साहु ने कहा कि 10 जनवरी से जानी उक्त प्रवचन आगामी 18 जनवरी तक चलेगा. उक्त सत्संग में भाग लेने को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने एवं भंडारा का विशेष व्यवस्था किया गया है.
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भारतीय संस्कृमित में नारियों का स्थान उत्तम
/रफोटो- फारबर्ड बेनीपुर. भारतीय संस्कृति में नारियों का उत्तम स्थान है. विदेशों में मर्यादा विहीन समाज में पतिव्रता नारियों का अभाव रहा है. उक्त बातें बुधवार को बेनीपुर सत्संग मंदिर में प्रवचन के दौरान महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर के स्वामी कमलानंदजी महाराज ने कही. उन्होंने कहा कि ईश्वर की दृष्टि में नर-नारी बराबर हैं. […]
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