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हल्की बारिश से कहीं खुशी, कहीं गम

जाले. हल्की बंूदा बांदी से इलाके के कुछ किसानों के चेहरे खिल उठे हैं तो कुछ के चेहरे मुरझा से गये हैं़ जिन किसानों ने समय से गेहूं, तोरी-सरसो एवं दलहन की फसल की बुआई कर चुके हैं उनके फसलों के लिए आकाश से अमृत की बरसात हो रही है़ स्थानीय कृषि विज्ञान के प्रभारी […]

जाले. हल्की बंूदा बांदी से इलाके के कुछ किसानों के चेहरे खिल उठे हैं तो कुछ के चेहरे मुरझा से गये हैं़ जिन किसानों ने समय से गेहूं, तोरी-सरसो एवं दलहन की फसल की बुआई कर चुके हैं उनके फसलों के लिए आकाश से अमृत की बरसात हो रही है़ स्थानीय कृषि विज्ञान के प्रभारी डा़ वरुण ने बताया कि इस हल्की बारिश से अगात रब्बी की फसल करने वाले किसान भाइयों को पहला पटवन का खर्च बच जाएगा तथा उन्होंने किसानों को बताया कि बरसात रुकने के साथ ही गेहंू एवं तेलहन के खेतों में एक किलो प्रति कटठा के हिसाब से यूरिया का टॉप ड्रेसिंग कर देना चाहिए़ जिनके दलहन के खेतों में फसल का समुचित विकास नहीं हुआ है उनमें भी इस हल्की बारिश से विकास होना प्रारंभ हो जायेगा़ इस बारिश से बाग-बागीचा एवं साग सब्जी के खेतों को भी काफी लाभ मिलेगा़ बारिश से ठंड का प्रभाव भी काफी कम हो जायेगा, इससे पाला का असर अब सब्जी के पौधों पर नहीं पड़ेगा़ जिन किसानों ने अपने खेतों में जल जमाव की वजह से अभी तक गेहूं की बुआई नहीं किया है और वे गेहूं की ही बुआई करना चाहते हैं. उनके लिए काफी परेशानी हो गई़ उनके खेतों में इस बारिश से नमी की अधिकता हो गई होगी़ ऐसी परिस्थिति में डॉ वरुण ने किसानों को अगाह करते हुए कहा कि गेहूं की बुआई का अब एक मात्र तरीका, जीरो ट्रिलेज विधि है़ इस विधि से अब गेहंू की सबसे लेट प्रभेद पीबीडव्लू 14 और एचडी 2987 प्रभेद को पांच जनवरी तक ही बुआई कर देने को कहा़

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