दरभंगा. विश्व विज्ञान इतिहास में आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है और उन्हें भारत का प्रथम आधुनिक वैज्ञानिक माना जाता है. उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा ने स्वयंसेवी संस्था डॉ प्रभात दास फाउंडेशन के द्वारा आयोजित ‘भौतिक विज्ञान में जेसी बोस का योगदान’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए यह बातें कही. उन्होंने कहा कि डॉ जेसी बोस के समय काल में भारत में विज्ञान शोधकार्य नहीं के बराबर होता था. ऐसी विषम परिस्थितियों में जगदीश चंद्र बोस ने विज्ञान के क्षेत्र में मौलिक योगदान दिया. 19वीं सदी के अंतिम दिनों में अपने कार्यों की बदौलत पूरी दुनिया में भारत का नाम उन्होंने रोशन कराया. 1898 में यह सिद्ध हुआ कि मार्कनी का बेतार अभिग्रही यानी वायरलेस रिसिवर जगदीश चंद्र बोस का आविष्कार था. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो अमरेश झा ने कहा कि सर जेसी बोस ने भौतिकी एवं जीवविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किये हैं. सेमिनार में विचार व्यक्त करनेवाले प्रतिभागियों में से तृतीय सेमेस्टर के अजय कुमार, प्रथम सेमेस्टर की ऋतु कुमारी, एवं तृतीय सेमेस्टर के अब्दुल वाहित को क्रमश: प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार से नवाजा गया. वहीं अन्य 10 प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया.
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भारत के प्रथम आधुनिक वैज्ञानिक थे डॉ जेसी बोस : डॉ कुशवाहा
दरभंगा. विश्व विज्ञान इतिहास में आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है और उन्हें भारत का प्रथम आधुनिक वैज्ञानिक माना जाता है. उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ साकेत कुशवाहा ने स्वयंसेवी संस्था डॉ प्रभात दास फाउंडेशन के द्वारा आयोजित ‘भौतिक विज्ञान में जेसी बोस का योगदान’ […]
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