बिरौल . 30 बेड के सीएचसी अस्पताल भवन के उद्घाटन के महज पांच दिन के बाद ही मरीजों का इलाज भगवान भरोसे हो गया है. चिकित्सक के कमरे में ताला झूल रहा है, एक्सरे मशीन भी बंद था. चार दिन में ही प्रसव केन्द्र में गंदगी का अंबार लगा मिला. सफाईकर्मी ने बताया कि इतने बडे़ भवन की सफाई के लिए और कम से कम नौ कर्मियों की जरूरत है. मौके पर कंपाउंडर भी ड्यूटी से गायब थे. मालूम हो कि 29 नवंबर को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तीन करोड़ की लागत से सीएचसी अस्पताल भवन का उद्घाटन किया. बिरौल को बड़े तौर पर सौगात दी थी. पांच चिकित्सक भी तैनात किये गये. लोगों को लगा कि अब इलाज के लिए दरभंगा नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन इस अस्पताल का नजारा देखकर इलाज करवाने पहुंच रहे मरीज काफी हैरान परेशान दिख रहे हैं. अस्पताल के बाहर की पूरी व्यवस्था तो ठीक है, लेकिन अंदर प्रवेश करते ही चिकित्सक के कमरे बंद थे. कोट::::::::::इलाज के लिये यहां समुचित व्यवस्था नहीं है. सर्जन और महिला चिकित्सक की जरूरत है. सीएचसी को सिर्फ भवन मिला, उपकरण के नाम पर कुछ नहीं मिला है. पीएचसी के एक्सरे को सीएचसी में ट्रांसफर किया गया है. डॉ एके मिश्रा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बिरौल.
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सीएचसी में इलाज कराना हुआ मुश्किल
बिरौल . 30 बेड के सीएचसी अस्पताल भवन के उद्घाटन के महज पांच दिन के बाद ही मरीजों का इलाज भगवान भरोसे हो गया है. चिकित्सक के कमरे में ताला झूल रहा है, एक्सरे मशीन भी बंद था. चार दिन में ही प्रसव केन्द्र में गंदगी का अंबार लगा मिला. सफाईकर्मी ने बताया कि इतने […]
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