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जंकशन की दरक रहीं दीवारें

* नवनिर्मित भवन में भी जगह-जगह पड़ गयी हैं दरारेंदरभंगा : रेल मंडल का इकलौता सर्वोच्च दर्जा प्राप्त स्टेशन दरभंगा जंकशन की दीवारों में जगह-जगह दरार पड़ गयी है. नवनिर्मित भवन में भी दरार नजर आ रही है. यह यात्रियों की सुरक्षा के नजरिए से चिंताजनक है. आश्चर्यजनक पहलू यह है कि रेल अधिकारियों की […]

* नवनिर्मित भवन में भी जगह-जगह पड़ गयी हैं दरारें
दरभंगा : रेल मंडल का इकलौता सर्वोच्च दर्जा प्राप्त स्टेशन दरभंगा जंकशन की दीवारों में जगह-जगह दरार पड़ गयी है. नवनिर्मित भवन में भी दरार नजर आ रही है. यह यात्रियों की सुरक्षा के नजरिए से चिंताजनक है.

आश्चर्यजनक पहलू यह है कि रेल अधिकारियों की नजर इस ओर नहीं जाती. दरभंगा जंक्शन पर जीआरपी थाना से दक्षिण नवनिर्माण हुआ है. सबसे ज्यादा दरारें इसी भवन में दिखती है. वैदेही आरक्षण केंद्र के हॉल में बरसात के समय पानी का रिसाव नहीं होता, बल्कि धार बहती है.

पूरा थाना जगह-जगह टपकता है. छत पर अलकतरा शीट दिये जाने के बाद भी पानी का रिसाव नहीं रूक सका है. इससे यात्रियों को बरसात के दौरान जहां परेशानी झेलनी पड़ती है. वहीं भवन की दरारें उन्हें सशंकित करती रहती है. ये दरारें निर्माण कार्य की गुणवत्ता की पोल खोल रही है.

महकमा नवनिर्माण की ओर विशेष संजीदा नजर आता है. काम चलाव रहने के बावजूद सौंदर्यीकरण के नाम पर पूर्व निर्मित भवनों को या दीवारों को तोड़ दिया जाता है. हाल ही में प्लेटफॉर्म सं. 1 पर यूटीएस काउंटर के पूर्वी दीवार में लगे नलों के पास नया कोटा स्टोन लगाया गया है. लेकिन दरारों को पाटने या फिर इसे दुरुस्त करने की ओर किसी की नजर नहीं जा रही.

जानकारों का कहना है कि महकमा के वरीय अधिकारी साफ-सफाई, यात्री सुविधा सहित अन्य विभागों की ओर तो सख्त रहते हैं, लेकिन अभियंत्रण विभाग के तरफ देखना मुनासिब नहीं समझते. इसका कारण तो लोग कुछ और ही कहते हैं. हकीकत क्या है ये तो वे ही जानें. बहरहाल गुणवत्ता पर किसी का ध्यान नहीं है इतना तय है. समस्तीपुर रेल मंडल के इकलौता ए-वन प्लस दर्जा प्राप्त स्टेशन के एसएस चैम्बर की दीवारों से परत उखड़ रहा है. इसको ढ़कने के लिये अभियंत्रण विभाग उन-उन जगहों पर बोर्ड लटका रखा है.

बावजूद परत इस कदर उखड़ा पड़ा है कि पहली नजर में ही वह दिख जाता है. सूत्रों का कहना है कि स्टेशन पर कोई भी निर्माण कार्य पूर्ण गुणवत्ता के साथ नहीं होता. मानक के अनुरूप कार्य हो इसके लिये जवाबदेह अधिकारी शुरूआत में ही ध्यान नहीं देते. लोगों का कहना है कि अगर यहां प्राकृतिक आपदा (भूकंप) आयी तो सबसे ज्यादा नुकसान रेलवे को ही होगा.

सूत्रों की माने तो पुराने भवनों को तोड़कर नया मकान बनाने का रेलवे में खेल चल रहा है. इसी के तहत कटहलबाड़ी के रेल कॉलोनी को पहले डैमेज घोषित कर दिया गया. इसको देखने जब पूर्व डीआरएम बी श्री हरि आये तो जांच के दौरान भवन मजबूती की लिहाज से दुरुस्त मिला. कई ऐसे भवन हैं जो वर्षो पूर्व क्षतिग्रस्त घोषित कर दिया गया और आजतक उसमें रेल कर्मी रह रहे हैं.

यह सही है कि अभियंत्रण विभाग ने अगर उसे क्षतिग्रस्त घोषित कर दिया है तो उसमें रहना सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है. लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि अगर वर्षो पूर्व क्षतिग्रस्त मकान भूकंप झेलने के बावजूद अभीतक दुरुस्त है तो किस स्तर पर उसे डैमेज घोषित किया गया. यह तो जांच का विषय है.

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