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अतिक्रमणकारियों को हटाये बिना यार्ड की सुरक्षा संभव नहीं

संपर्क क्रांति की बोगी में लगी थी आग गत चार सितंबर को रात में शंटिंग के दौरान बिहार संपर्क क्रांति की स्लीपर बोगी में आग लग गई थी. इसके तीसरे ही दिन शनिवार की सुबह यार्ड में खड़ी स्पेयर रेक की एक जनरल बोगी में असामाजिक तत्वों ने आग लगा दी थी. अपराधियों की कोशिश […]

संपर्क क्रांति की बोगी में लगी थी आग

गत चार सितंबर को रात में शंटिंग के दौरान बिहार संपर्क क्रांति की स्लीपर बोगी में आग लग गई थी. इसके तीसरे ही दिन शनिवार की सुबह यार्ड में खड़ी स्पेयर रेक की एक जनरल बोगी में असामाजिक तत्वों ने आग लगा दी थी. अपराधियों की कोशिश तीसरी बोगी को भी जलाने की थी, जिसमें वह कामयाब नहीं हो सका. इसका खुलासा जांच के क्रम में हुआ. अधिकारियों ने एक बोगी के शौचालय में सीट के रेक्सीन तथा गद्दा के सहारे आग लगाने के प्रयास का प्रमाण देखा था. इतने के बावजूद जो संजीदगी नजर आनी चाहिए थी वह फिलवक्त तक नहीं दिख रही है.
दरभंगा : दरभंगा जंक्शन के यार्ड में दो बोगियों में हुई आगजनी के बाद भी रेल प्रशासन सुरक्षा को लेकर पूरी तरह गंभीर नजर नहीं आ रहा. घटना के पांच दिन बीत जाने के बावजूद अभी तक न तो पूरी तरह से बैरिकेडिंग की गई है और न दीवार निर्माण की दिशा में पहल नजर आ रही है. हालांकि डीआरएम अशोक माहेश्वरी एवं मंडल सुरक्षा आयुक्त अंशुमन त्रिपाठी के निर्देश पर आरपीएफ के अतिरिक्त जवान के साथ आरपीएसएफ की विशेष बटालियन जरूर यार्ड में तैनात है. अभी तक रेलवे के यार्ड परिसर से अतिक्रमणकारियों को हटाया नहीं गया है.
झुग्गी झोपड़ियां काबिज हैं. इस बीच यार्ड परिसर में प्रवेश को अपराध बताने वाला बोर्ड लटकाने की तैयारी हो रही है. सवाल यह उठता है कि जवानों को तैनात कर आखिर कितने दिनों तक यार्ड की सुरक्षा की जा सकेगी, जबकि अन्य क्षेत्र के लिए भी जवानों की भारी कमी है.
कटहलबाडी स्थित यार्ड परिसर के बगल में रेलवे की जमीन पर सब्जी मंडी सस्ती है. लिहाजा यहां हमेशा लोगों की भीड़ लगी रहती है. पुराने रेलवे फाटक पर आरओबी निर्माण किए जाने के बावजूद अधिकांश पैदल एवं साइकिल सवार राहगीर रेलवे लाइन पार कर आवागमन करते हैं. लक्ष्मीसागर एवं चूनाभट्ठी के अधिकांश लोगों का यही रास्ता है.
वैसे पुल का निर्माण फाटक को पूरी तरह से बंद कर दिए जाने को लेकर ही हुआ, लेकिन इसकी बनावट इस कदर की कर दी गई जिससे सामान्यजन पुल का सहारा लेकर आवागमन सहज रूप से नहीं कर पाते. लिहाजा राहगीर रेलवे लाइन को पार कर आते-जाते हैं. यही कारण है कि यार्ड की सुरक्षा में तैनात जवानों के साथ लोगों की बकझक भी हो रही है. जानकारों का कहना है कि रेल प्रशासन को कम से कम कटीले तार से यार्ड की घेराबंदी तत्काल कर देनी चाहिए. इससे काफी हद तक बाहरी तत्व के प्रवेश पर रोक लग सकेगी. साथ ही सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी. वैसे डीआरएम श्री माहेश्वरी ने इस आशय का निर्देश दिया है.

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