डीएमसीएच. अधीक्षक ने भी खड़े किये हाथ, दोपहर बाद बंद हो जाता है दवा काउंटर
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बेटी की दवा के लिए भटकती रही शना
डीएमसीएच. अधीक्षक ने भी खड़े किये हाथ, दोपहर बाद बंद हो जाता है दवा काउंटर फार्मासिस्ट की कमी की सजा भुगत रहे डीएमसीएच के मरीज दरभंगा : शना खातून गायनिक विभाग में दवा के लिए इधर से उधर भटक रही थी. जब वह उपचार कराने के बाद दवा की पर्ची के साथ काउंटर पर पहुंची […]
फार्मासिस्ट की कमी की सजा भुगत रहे डीएमसीएच के मरीज
दरभंगा : शना खातून गायनिक विभाग में दवा के लिए इधर से उधर भटक रही थी. जब वह उपचार कराने के बाद दवा की पर्ची के साथ काउंटर पर पहुंची तो वह बंद हो चुका था. वह इसके लिए वहां मौजूद सभी कर्मियों से दवा दिला देने की गुहार लगा रही थी, लेकिन सभी काउंटर बंद हो जाने की बात कह मदद में असमर्थता जता रहे थे. घटना मंगलवार की है.
पीड़िता को अपराह्न में गायनिक विभाग का दवा काउंटर बंद हो जाने के बाद उसको दवा नहीं मिली. वह करीब एक घंटा तक दवा के लिए डॉक्टरों एवं कर्मियों का चक्कर लगाती रही. कहा जाता रहा कि दो बजे दवा काउंटर बंद हो जाता है. वहीं पर मौजूद किसी ने अधीक्षक डॉ संतोष कुमार मिश्र से मिलने की सलाह दी. अधीक्षक ने दवा काउंटर बंद हो जाने की बात कह कहा कि कल आना, आज दवा नहीं मिलेगी. वहां भी शना को कोई मदद नहीं मिली. आखिरकार शना बिना दवा लिए निराश होकर घर लौट गयी.
बता दें कि रोजाना करीब दौ सौ महिला मरीज इलाज के लिए यहां पंजीयन होता है. करीब तीस मरीज रोजाना भर्ती होती हैं. अपराह्न में यहां का दवा काउंटर बंद हो जाता है. इससे इंमरजेंसी में चिकित्सकों द्वारा दवा लिखने पर मरीजों एवं परिजनों को बाहर से महंगे दाम पर दवा खरीदनी पड़ती है.दरअसल उसकी बेटी यास्मीन खातून का इलाज गायनिक विभाग में रविवार से चल रहा था. यास्मीन गर्भवती है. उसका आठवां महीना चल रहा है. रविवार को अचानक उसकी तबीयत अचानक खराब हो गयी.
आनन-फानन में यास्मीन को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. चिकित्सकों ने इसे दो दिन के लिए भर्ती होने को कहा. यास्मीन की तबीयत ठीक होने के बाद दवा लिखकर चिकित्सक ने उसको मंगलवार अपराह्न डिस्चार्ज कर दिया. अगले सप्ताह दोबारा इलाज के लिए बुलाया.
इस संबंध में अधीक्षक डॉ संतोष कुमार मिश्र से बताया कि यहां फार्मासिस्ट का अभाव है. पत्र के माध्यम से कई बार सरकार को इसकी कमी के बारे में बताया गया है. वर्तमान में छह फार्मासिस्ट कार्यरत हैं.
इंमरजेंसी में तीन, ओपीडी में तीन, गायनिक विभाग में एक, जबकि सर्जरी विभाग में एक फार्मासिस्ट की ड्यूटी लगायी गयी है. यहां 13 फार्मासिस्ट की तत्काल जरूरत है. इसी कारण दोपहर बाद ओपीडी का दवा काउंटर बंद हो जाता है.
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