औरंगाबाद. बिहार के औरंगाबाद जिले में शनिवार की दोपहर के बाद एक बार फिर मौसम ने करवट बदल ली है. जिससे बारिश होने की संभावना बढ़ गई है. कृषि विज्ञान केंद्र सिरिस के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने बताया कि रविवार को भी आसमान में बादल छाये रहेगा. इस क्रम में कहीं हल्की तो कहीं अधिक बारिश भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ तूफान का कोई असर नहीं है. आकस्मिक मौसम ने करवट ले लिया है. बता दें कि प्रकृति की बेरुखी से किसानों के नींद हराम हो गयी है. दिसंबर व जनवरी माह की बेमौसम बारिश से धान व आलू की खेती चौपट हो गयी थी. फरवरी माह की वर्षा के साथ ओले पड़ने से तेलहन व दलहन की फसल बर्बाद हो गयी. इधर, पिछले सप्ताह हवा के साथ मूसलाधार बारिश से गेहूं व गरमा सब्जी की खेती तहस नहस हो गयी.
यहां तक कि आम व नींबू जैसे फलदार वृक्षों पर भी इस मौसम का प्रति कूल प्रभाव पड़ा है. पैक्स अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह, शिव नाथ पांडेय,अजीत कुमार,सुदर्श न सिंह, प्रमोद मौआर,आजम ईमाम आदि खेति हरों ने बताया कि अगर पुनः वर्षा होती है तो लोगों को खाने के लिए अन्न व पशुपालकों को चारा भी नहीं मिल पायेगा. मौसम के संबंध में केवीके सिरीस कृषि वैज्ञानि क डॉ नि त्या नंद का कहना है कि पर्यावरण प्रदूषित होने के कारण प्रकृति में अनिश्चितता बढ़ गयी है. प्रदूषण जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण बन रहा है. इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को सचेत होने की जरूरत है . उन्होंने बताया है कि अगर किसानों के खेत में अभी तक सरसों, तोरी, राई जैसे फस ल सुरक्षित बच गया है, तो मौसम साफ होने पर हीं कटाई करें.
बरिश होगी तो किसानों का बचा हुआ फसल भी हो जाएगा साफ
दस दिन पहले हुई बारिश से किसानों का 50 प्रतिशत से अधिक फसल बबार्द हो गया है. बिहार के किसान बहुत ही चिंतित है. वही बारिश होने की संभावना फिर से बढ़ गई है. अगर बारिश हो जाएगी तो किसानों का बचा हुआ फलस भी खराब हो सकता है. जिससे किसानों की पूरा मेहनत पर पानी फिर जाएगा. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने बिहार में फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. अभी तक सरकार की ओर से किसानों को मुआवजा राशि भी नहीं दी गई है. बिहार में सभी फसल लगभग खेतों में लगभग पक गये है. किसानों का कहना है कि होली के बाद हुई बारिश से जो फसल बचा हुआ है वो भी नुकसाना हो सकता है.