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चंपारण में हुआ गांधी को अहिंसा का बोध

नौतन : समाजशास्त्री एमएन कर्ण ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के दौरान गांधी जी ने किसानों के दु:ख, दर्द को संघर्ष का औजार बना किसानों को संगठित कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहली बार आवाज बुलंद की. चंपारण मैत्री गांधी को अहिंसा की देवी के साक्षात दर्शन हुए. उन्होंने सत्य व अहिंसा की पाठ यहीं […]

नौतन : समाजशास्त्री एमएन कर्ण ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के दौरान गांधी जी ने किसानों के दु:ख, दर्द को संघर्ष का औजार बना किसानों को संगठित कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहली बार आवाज बुलंद की.
चंपारण मैत्री गांधी को अहिंसा की देवी के साक्षात दर्शन हुए. उन्होंने सत्य व अहिंसा की पाठ यहीं पढ़ी. फिर इसी हथियार के बूते गांधी ने भारत ही नहीं पूरे विश्व में अहिंसा और सत्य के बूते आजादी पाने की मिसाल पेश की.
श्री कर्ण शुक्रवार को जेपी स्मृति कुटीर सुभाषनगर में सत्याग्रह क्या, क्यों और कैसे विषयक कार्यशाला का उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि गांधी जी का शताब्दी वर्ष हम मना रहे हैं. महत्वपूर्ण यह है कि गांधी के विचारों, उनके आचरण को हम कितना आत्मसात करते हैं. चंपारण में उस दौर के जो हालात था, वह सत्याग्रह की मांग थी. जिसे गांधी जी ने बखूबी निभाया. इसके पूर्व इस दो दिवसीय कार्यशाला में समाजसेवी ने गांधी के चंपारण आगमन एवं सत्याग्रह के बारे में बिंदुवार विचार रखा.
जेपी सेनानी पंकज और घनश्याम ने कहा कि सत्याग्रह के लिए शुद्ध साधन एवं अहिंसा की जरुरत है. किसानों के मुक्ति संघर्ष में गांधी ने चंपारण में ही सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया. गांधी जी ने आत्मकथा में लिखा है कि उन्हें चंपारण में अहिंसा देवी का दर्शन हुआ . इस दौरान लोक संघर्ष समिति की फुलकली देवी, सिस्टर एलिस, लेखक शिशिर टुडू विनोद रंजन, देवेंद्र किशोर, शैलेंद्र कुमार, रमेश कुमार इस्लाम, संत राम, नगीना देवी, मोहन राम, सत्यनारायण राम आदि भी मौजूद थे.

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