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विरासत की सुरक्षा पर सवाल

बेतिया राज. राजस्व बढ़ा, संपत्ति की सुरक्षा के नहीं िकये गये उपाय बेतिया : कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अधीन बेतिया राज पर चोरों की लगी नजर को देखकर राज के पूर्वजों की आत्मा भी अब कोस रही होगी. बेतिया राज के राजस्व में दिनोंदिन लगातार हो रही वृद्धि के बावजूद बेतिया राज की परिसंपतियों की […]

बेतिया राज. राजस्व बढ़ा, संपत्ति की सुरक्षा के नहीं िकये गये उपाय

बेतिया : कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अधीन बेतिया राज पर चोरों की लगी नजर को देखकर राज के पूर्वजों की आत्मा भी अब कोस रही होगी. बेतिया राज के राजस्व में दिनोंदिन लगातार हो रही वृद्धि के बावजूद बेतिया राज की परिसंपतियों की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं किया जाना भी यहां के अधिकारियों की मंशा को संदेह के घेरे में खड़ा कर रहा है. बेतिया राज में कीमती सामान की चोरी बेहद ही आम हो चुकी है.
बेतिया राज में चोरों का आतंक इस कदर छाया हुआ है कि वे बेखौफ
तरीके से एक के बाद दूसरी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं . इसके पीछे बेतिया राज के कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आयी है. जबकि राज के कर्मचारी सारा दोष यहां के गरीब गार्डों पर मढ़ देते हैं. लेकिन गार्ड व अन्य लोगों का मानना है कि चाबी बेतिया राज के प्रधान लिपिक के पास रहती है. बेतिया राज में चोरी का यह कोई नया मामला नहीं है. इससे पूर्व भी यहां कई बार कीमती सामानों की चोरियां हो चुकी हैं.
राजकचहरी परिसर से घड़ी व मशीन ताला खोल कर की गयी थी चोरी :
जुलाई 2009 के महीने में शहर के राजकचहरी परिसर में
स्थित ऐतिहासिक घड़ी की मशीन घड़ी घर का ताला खोलकर चोरी कर ली गयी थी, जिसके बारे में बताया जाता है कि इसे 1600 ईस्वी में बेतिया के तत्कालीन महाराज ने इंग्लैंड से मंगवाया था. इसकी खासियत यह
थी कि इसमें चारों दिशाओं की
दीवारों में लगी घडि़यां एक ही मशीन से चलती थीं.
सूत्रों की मानें तो इस घड़ी के पेन्डुलम एवं इसकी मशीन में सोने एवं हीरे के हिस्से लगाए गये थे.सन 2006 के अगस्त महीने में भी इसी बेतिया राज से एक लंदन की घड़ी एवं हाथी की दंत जडि़त टेबल की चोरी करने की कोशिश की गई थी. लेकिन स्थानीय लोगों एवं राहगीरों द्वारा देख लिए जाने की सूरत में चोर मौके से गायब हो गए. लोगों ने पीले रंग के एक झोले में रखी लंदन की रयल एक्सचेंज की कीमती घड़ी एवं हाथी की दंत जडि़त टेबल को राजकर्मी रामधारी साह को सुपुर्द कर दिया था.
2006 में बरतन व कई ऐतिहासिक सामान की भी हो चुकी है चोरी : 2006 में इसी महीने बर्तनों की चोरी का मामला भी सामने आया था. 2000 के दशक में भी राजा के समय के फोटो और खिलौनों समेत अन्य बेशकीमती सामनों की चोरी भी की गयी थी. बेतिया राज के ऐतिहासिक कालीबाग मंदिर में साल 1996 में अज्ञात चोरों ने मुख्य मंदिर के समक्ष से बटुक भैरव की मूर्ति चुरा ली थी. इस मामले भी अभी तक कुछ नहीं हो सका है. 90 के दशक में बेतिया राज के खजाने की मजबूत चादर काटकर कीमती आभूषणों, पत्थर आदि की चोरी कर ली गयी थी. इस मामले में बेतिया राज की ओर से दो करोड़ की संपत्ति की चोरी का मामला नगर थाने में दर्ज कराया गया था. हालांकि स्थानीय लोगों का मानना है कि इससे कई गुना ज्यादा की सम्पत्ति चोरी हुई थी। यहां कि स्थानीय लोग इसे एशिया की सबसे बड़ी चोरी मानते हैं. कहा जाता है कि इस चोरी में कई दिनों तक लगातार रात में छत को मशीन के जरिए काटा गया था, क्योंकि छत की जमीन लोहे की मजबूत चादरों से बनाई गई थी.
डंडे वाले चौकीदारों के जिम्मे संपत्ति की सुरक्षा : आखिर डंडे वाले इन चौकीदार से कैसे हो सकती है बेतिया राज के अरबों की संपत्तियों की रखवाली. गौरतलब है कि बेतिया राज की प्रशासनिक नियंत्रण एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह बिहार सरकार के ऊपर है. लेकिन स्थिति यह है कि सरकारी नियंत्रण होने के बावजूद राज की अरबों की संपत्तियों की सुरक्षा सिर्फ एक-दो सिपाहियों के जिम्मे कर दी गई है. इस तरह से सुरक्षा के नाम पर मजाक और खिलवाड़ किया जा रहा है. अब सवाल उठता है कि क्या बेतिया राज की धरोहरों और अवशेषों की सुरक्षा जरूरी नहीं है, अगर जरूरी है, तो फिर इसकी दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन हैं? क्या सरकार और प्रशासन को इनके सदुपयोग की कोई चिंता नहीं है, हकीकत यह है कि अगर सरकार चाहे तो बेतिया राज से जुड़े स्मारकों और महल के अवशेषों को पर्यटन से जोड़कर इन्हें दुनिया के सामने पेश कर सकती है, लेकिन जरूरत इच्छाशक्ति और स्वार्थरहित मानसिकता की है, जो शायद वर्तमान हालात में सरकार और प्रशासन के पास नहीं है.

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