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सुविधा के नाम पर मनमानी

सफर. स्लीपर बसों में न िमलता है कंबल और न चादर-तकिया बसों में एसी, नन एसी, स्लीपर, डीलक्स, एक्सप्रेस, वीडियो कोच, वॉल्वो, हाइटेक जैसी सुविधाओं के नाम पर यात्रियों के जेब में डाका डाला जा रहा है. इसके नाम पर सभी श्रेणी का किराया अलग-अलग तय िकया गया है, जबकि सुविधाएं िमलती नहीं हैं. प्रभात […]

सफर. स्लीपर बसों में न िमलता है कंबल और न चादर-तकिया

बसों में एसी, नन एसी, स्लीपर, डीलक्स, एक्सप्रेस, वीडियो कोच, वॉल्वो, हाइटेक जैसी सुविधाओं के नाम पर यात्रियों के जेब में डाका डाला जा रहा है. इसके नाम पर सभी श्रेणी का किराया अलग-अलग तय िकया गया है, जबकि सुविधाएं िमलती नहीं हैं. प्रभात खबर की पड़ताल में ये बातें सामने आयी हैं…
बेतिया : जिले से पटना व मुजफ्फरपुर जाने-आने वाली बसों के संचालकों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही. एक तो डीजल के दाम घटने के बाद भी यात्रियों को किराये में कोई राहत नहीं मिली है, वहीं दूसरी ओर स्लीपर के नाम पर मनमाना किराया वसूल यात्रियों को ठगा जा रहा है. बसों का संचालन निजी हाथों में होने के कारण यात्री मन मसोस कर रह जाते हैं. नतीजा बिना सुविधा दिये मनमाना किराया वसूलने का यह लूट बदस्तूर जारी है.
अफसर इसपर लगाम इसलिए नहीं लगाते, क्योंकि बस संचालकों की इस लूट में उसका हिस्सा भी तय है.
जानकार बताते हैं कि बसों में मिलने वाली सुविधाओं को बकायदा सरकारी गाइडलाइन है. इसी के मुताबिक, अलग-अलग किराये भी तय होते हैं. इन गाइडलाइन के पालन कराने की जिम्मेवारी संबंधित जिले के डीएम और परिवहन विभाग के अफसरों की होती है. जो भी बसें इन गाइड लाइन का पालन नहीं करते उनके खिलाफ सीज, जुर्माना व अन्य कार्रवाई की जा सकती है.
कार्रवाई की बात तो दूर आज तक जिले में कभी भी इन बसों की जांच तक भी प्रशासन की ओर से नहीं की गई है. फिटनेस के नाम पर परिवहन कार्यालयों में खेल किया जाता है. बिना जांच के ही बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट दे दिया जाता है. जबकि, बसों में यात्रियों के लिए तमाम सुविधाएं देने के नियम हैं, पर इन नियमों को कोई ख्याल नहीं रखा जाता है.
खास बातें
180 बसें विभिन्न रूटों पर दौड़ती हैं जिले से
50 बसों में है स्लीपर की सुविधा
63 बस हैं बेतिया जिले में पंजीकृत
सामान्य किराये से 40 रुपये लेते हैं अिधक
रूट किराया स्लीपर किराया
बेतिया-पटना(एसी) 200 240
बेतिया-पटना(नन एसी) 180 200
बेतिया-मुजफ्फरपुर(एसी) 120 140
बेतिया-मुजफ्फरपुर(नन एसी) 90 100
डीलक्स, एक्सप्रेस, वॉल्वो के नाम पर भी मनमानी : एसी, नन एसी, स्लीपर, डीलक्स, एक्सप्रेस, वीडियो कोच, वॉल्वो जैसे तमाम सुविधाओं के नाम पर यात्रियों से मनमानी किराया वसूली जा रही है. जबकि हकीकत में बसों में यह सुविधाएं नहीं के बराबर मिलती है. पटना से बेतिया आ रही एसी बसों में मोतिहारी के बाद से एसी बंद कर दी जाती है. वीडियो भी चलना बंद हो जाता है.
स्लीपर में मिलनी चाहिए ये सुविधाएं
स्लीपर सीट पर बिछाने के लिए चादर
सोने के लिए तकिया
मोबाइल चार्जर प्वाइंट
गरमी के दिनों में पंखे
ठंड के दिनों में यात्रियों के लिए कंबल
साइड ग्लास व दूसरी ओर साफ परदे
ग्लास लॉक व अन्य
बस संचालकों की मनमानी
बेतिया से पटना व मुजफ्फरपुर जाने वाली एसी व नन एसी बसों में नहीं मिलतीं कोई सुविधाएं, ठगा-सा महसूस करते हैं यात्री
एसी, नन एसी, स्लीपर, डीलक्स, एक्सप्रेस, वीडियो कोच, वॉल्वो जैसी तमाम सुविधाओं के नाम पर वसूल रहे हैं मनमाना किराया
प्रशासन की ओर से नहीं होती बसों की जांच, कागजों में बिना जांच दे दिया जाता है फिटनेस सर्टिफिकेट
स्लीपर बसों में ये भी नहीं हैं उपलब्ध
1. फायर किट: सड़कों पर दौड़ लगाने वाली ज्यादातर बसों में आग बुझाने के संयंत्र नहीं हैं. जबकि बसों में इंजन गर्म होने पर धुआं निकलने से आग लगने की खतरा अधिक रहता है. जिन बसों में फायर किट होती है, उसमें अमूमन गैस नहीं होती है, इसमें सिलेंडर एक्सपायरी डेट का भी होता है. यदि आग लगती है, तो कंडक्टर जान बचाकर भागते हैं, उन्हें फायर किट का इस्तेमाल करना भी नहीं आता है.
2. फर्स्ट एड बॉक्स: किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर बसों में फर्स्ट एड किट रखने की व्यवस्था की गई है लेकिन अधिकांश बसों में फर्स्ट एंड किट वाला बॉक्स खाली होती है. जिन बसों में फर्स्ट एड बाक्स लगा होता है, उसमें ड्राइवर और कंटक्टर अपने इस्तेमाल का सामान रखते हैं. जबकि यात्रियों से वसूले जाने वाले किराये में उनकी सुरक्षा देने का भी हिस्सा वसूला जाता है.
3. सफाई व्यवस्था: बसों मे सफाई की व्यवस्था बिल्कुल भी नहीं होती है. यात्रियों को स्वयं सीट साफ करके बैठना पड़ता है. इतना ही स्लीपर में लगे परदे भी गंदे रहते हैं. परदों से उठने वाली बदबू को लेकर यात्रियों से अमूमन बहस की नौबत आ जाती है.

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