मुहर्रम. निकाला गया मातमी जुलूस, हक व बातिल की लड़ाई की याद
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गूंजीं या हसन, या हुसैन की सदाएं
मुहर्रम. निकाला गया मातमी जुलूस, हक व बातिल की लड़ाई की याद बेतिया : कर्बला की शहादत को याद कर जिले में मुर्हरम की दसवीं पर मातमी जुलूस निकाला गया़ जुलूस में शामिल युवाओं ने करतब दिखाएं. ताजिया भी निकाली गयी़ मातम भी मनाया गया़ इस दौरान सड़कों पर या हसन-या हुसैन की सदाएं गूंजती […]
बेतिया : कर्बला की शहादत को याद कर जिले में मुर्हरम की दसवीं पर मातमी जुलूस निकाला गया़ जुलूस में शामिल युवाओं ने करतब दिखाएं. ताजिया भी निकाली गयी़ मातम भी मनाया गया़
इस दौरान सड़कों पर या हसन-या हुसैन की सदाएं गूंजती रही़ कई मुहर्रम कमेटियों की ओर से इस दौरान झांकी भी निकाली गयी थी़ जिसके माध्यम से एकता का संदेश दिया गया था़ खासकर शहर के मंसा टोला, महावत टोली, उज्जैन टोला, बसवरिया, नया टोला, दरगाह मुहल्ला, छावनी आदि जगहों से मुर्हरम का जुलूस निकाला गया़
युवाओं ने दिखाये करतब :
करबला में मेला का भी आयोजन किया गया. मोहर्रम को विभिन्न स्थानों से मातमी जुलूस निकाल हुसैन के जाननिशारों ने और आलम ए इस्लाम ने करबला की जंग हक व बातिल की लड़ाई को याद किया.
युवकों ने जमकर इस्लामिक परचम बाजे गाजे लाठी- फरसे और तलवार बाजी व अपने करतबों को दिखाया. मुहर्रम का जुलूस शहर के विभिन्न रास्तों से होकर करबला तक गया़ जहां नम आंखों के साथ ताजिया को दफन किया गया़
हसन-हुसैन की शहादत को किया याद :
काजी नेशार अहमद ने बताया कि इस्लाम धर्म में अपने हक हकूक की लड़ाई लड़ते हुए इराक के करबला के मैदान में हजरत अली के दो जांबाज सिपाही हसन और हुसैन ने याजिद के खिलाफ जंग लड़ते हुए अपनी शहादत दी थी. इसी को सिद्दत और अकीदत के साथ मातमी माहौल में मुहर्रम का पर्व मनाया जाता है.
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