मोतिहारी : 25 व 26 अप्रैल का वह भयावह दिन आज भी लोगों के जेहन में आते ही रूह कांप उठती है. चेहरे सूर्ख पड़ जाते हैं. भूकंप से दर्जनभर लोगों की मौत हो गयी थी व दर्जनों लोग घायल हुए थे. इस भूकंप के दो वर्ष बीत गये, लेकिन आज भी लोग दहशत में जी रहे हैं. 25 अप्रैल को 11:56:20 में एकाएक धरती डोलने लगती है़
लोग भूकंप-भूकंप कह कर इधर-उधर भागने लगते हैं. उस समय भूकंप की तीव्रता 7.8 थी. नेपाल में तो भारी क्षति हुई थी, जिसमें दो हजार से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. कई जमींदोज हो गये. 26 अप्रैल को ठीक 12:54 बजे भूकंप आयी, जिसकी तीव्रता 6.7 थी. फिर हल्के झटके महसूस किये गये.
फिर 12 मई को भूकंप के झटके 12:50 में महसूस किये गये. बिहार में तीव्रता 5.7 थी, जबकि नेपाल में 7.3, उसके बाद 24 मई को भूकंप के झटके महसूस किये गये. यानि एक माह तक लोग दहशत में जिने को मजबूर थे. लोग घर में सोना छोड़ दिये थे. खुले मैदान में तंबू डाल कर सो रहे थे. यहां तक कि मोतीझील के किनारे लोग सो रहे थे. आलम यह था कि घर में जाने से लोग डरते थे. सबसे ज्यादा क्षति नेपाल में हुई थी.