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आटा, गुड़ से बना ठेकुआ प्रसाद का है विशेष महत्व

मोतिहारी : छठ शब्द का प्रादुर्भाव षष्ठ यानि पष्ठी से हुआ है. यह सूर्य उपासना की विशिष्ठ तिथि है. इस व्रत में शास्त्रीय विधान के साथ लोक परंपरा का भी विशेष महत्व है. आज व्रती नदी या तालाब के किनारे बने शिरशोप्ता की विधिवत पूजन कर आटे व गुड़ से निर्मित ठेकुआ मिष्ठान, मिष्ठान, ईख, […]

मोतिहारी : छठ शब्द का प्रादुर्भाव षष्ठ यानि पष्ठी से हुआ है. यह सूर्य उपासना की विशिष्ठ तिथि है. इस व्रत में शास्त्रीय विधान के साथ लोक परंपरा का भी विशेष महत्व है. आज व्रती नदी या तालाब के किनारे बने शिरशोप्ता की विधिवत पूजन कर आटे व गुड़ से निर्मित ठेकुआ मिष्ठान, मिष्ठान, ईख, केला, सुथनी, बोड़ी, निंबू, मूली, अदरक, अरूई, पान, सुपारी, लवण, इलायची,अरखपात एवं विभिन्न ऋतु फल आदि अर्पित कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ प्रदान करेंगे.

कोशी भरने का विधान: पष्ठी तिथि यानि रविवार को सूर्यास्त के बाद कोशी भरने का विशेष महत्व है. प्राचार्य सुशील पांडेय ने बताया कि शास्त्रों में द्वादश आदित्यों की कल्पना भगवान सूर्य की द्वादश शक्ति के रूप में की गयी है. इसलिए हम कोशी भरने के क्रम में द्वादश अर्थात 12 मिट्टी के ढकना में अन्य सामग्री रख दीपक जलाते है. 12 दीपक जलाने का अभिप्राय सूर्य की द्वादश शक्तियों को प्रसन्न करना है. अत: कोशी में दीपक जलाने का भाव अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रेरणा है.
तीसरे दिन भी बाजार में खरीदारों की लगी भीड़: मोतिहारी . आस्था का महापर्व छठ, आस्था के साथ मनाया जा रहा है. कही कोई भी चूक न हो इस इसका पूरा खयाल रख रहे है. व्रती व्रत का शुभारंभ नहाय-खाय के साथ शुक्रवार को शुरू हुआ. शनिवार को छठी मइया को रसिआव रोटी के रूप में प्रसाद चढाया गया. रविवार को अस्तगमी सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जायेगा. सोमवार को व्रतियों द्वारा उदीयमान सूर्य को अर्घ प्रदान कर पारन किया जयेगा. इधर छठ को ले तीसरे दिन भी बाजार में काफी चहल -पहल रही. लोग सामानों की खरीदारी कर रहे थे. वही कपड़े, मिठाई की दुकानों में भी भीड़ नजर आयी. भीड़ का आलम यह रहा कि लोगों को पैदल चलना मुश्किल सा हो गया था.
इन घाटों की हो रही है घेराबंदी: छठ व्रत को ले शहर के घाटों की सफाई अंतिम चरण में है. शहर के रोइंग क्लब घाट पर जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप का निर्माण किया जा रहा है, तो कुछ स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा व्रतियों के सहयोग के लिए अलग पंडाल का निर्माण किया जा रहा है. वही मुंशी सिंह महाविद्यालय में स्वयं सेवियों द्वारा पारन के दिन व्रतियों के लिए मुफ्त चाय की व्यवस्था की जा रही है. वही शहर के गायत्री नगर घाट, दूसरा एवं तीसरा घाट पर अगरवा चिकनी घाट पर बास का बल्ला लगाया जा रहा है. बेलिसराय तालाब में बांस का बल्ला, चुना एवं ब्लीचिंग छिड़काव हो चुका है. अन्य घाटों की सफाई का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है.
हर जगह बज रहे छठी मइया के गीत: शहर के चाय -पान की दुकानों के अतिरिक्त बस-ट्रक, निजी वाहनों, चौक-चौराहों पर छठी माई के महत्व विशेष की गूंजे सुनाई पड़ रही है. ऐसे प्रतीत होता है पूरा वातावरण भक्तिमय बन गया है.
छठ को ले बाजार में उमड़ी भीड़, घंटों जाम: मधुबन. लोक आस्था के महान पर्व छठ के दूसरे दिन बाजारों में उमड़ी खरीदारों की भीड़ से मलंग चौक घंटो जाम रहा.लोगो महज 500 मीटर दूरी तय करने में घंटों मशक्कत करनी पड़ रही थी. वहीं जाम से निजात पाने के लिये प्रशासन के तरफ से कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया था.एक चौकीदार के भरोसे पूरी व्यवस्था छोड़ दी गयी थी.
जाम मधुबन सेंट्रल स्कूल से लेकर थाना तक वही फेनहारा रोड में अस्पताल से आगे तक थी. इसके अलावे सिनेमा हॉल रोड व कन्या विद्यालय रोड से लोगों को निकलने में पापड़ बेलने पड़ रहे थे.जाम से निजात दिलाने के लिये एएसआई लक्ष्मण सिंह भी कुछ देर के लिये मोर्चा संभाला लेकिन खरीदारों की भीड़ व यात्रियों की ठेलम ठेल में सभी व्यवस्था बेकार साबित हो रहा था.छठ व्रतियों के संध्याकालिन व प्रात:कालिन अर्घ्य देने के लिये छठ घाटों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
घाटो पर स्थानीय लोग अपने स्तर से ही प्रकाश बाजे की व्यवस्था कर रहे है.मधुबन प्रखंड में प्रशासनिक महकमे से कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी है.वही बाजार में अधिक भीड़ के कारण बिजली पूरे दिन बाधित रहा. सब-स्टेशन से बताया गया कि एलटी तार कमजोर होने के कारण लाइन काट दी गयी है.
पष्ठी व्रत में हाथी ऐश्वर्य का प्रतिक: पष्ठी व्रत में कोशी पूजा के दौरान प्रतीकात्मक मिट्टी के हाथी की स्थापना धन्य-धान्य एवं सुख-समृद्धि व ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है. सोमवार को प्रात: 6.31 बजे सूर्योदय हो रहा है. अत: इस दिन सूर्योदय के समय प्रात:कालिन अर्घ दान किया जायेगा. अर्घ दान के पश्चात पारन कर व्रती व्रत का समापन करेंगे.

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