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देश की सेवा करते जम्मू-कश्मीर में चंपारण का लाल शहीद

रक्सौल : पाक की नापाक हरकतों का शिकार चंपारण का लाल जितेंद्र कुमार सिंह भी हुआ था, जिसने पाक की हरकतों को नाकाम करते हुये वीरगति को प्राप्त किया है. जम्मू-कश्मी के आरएसपुरा सेक्टर में बीएसएफ जवान जितेंद्र कुमार सिंह पाक की ओर से की जा रही गोली-बारी का शिकार हुये, जिसमें उन्होंने अपनी शहादत […]

रक्सौल : पाक की नापाक हरकतों का शिकार चंपारण का लाल जितेंद्र कुमार सिंह भी हुआ था, जिसने पाक की हरकतों को नाकाम करते हुये वीरगति को प्राप्त किया है. जम्मू-कश्मी के आरएसपुरा सेक्टर में बीएसएफ जवान जितेंद्र कुमार सिंह पाक की ओर से की जा रही गोली-बारी का शिकार हुये, जिसमें उन्होंने अपनी शहादत दी है.

इसकी खबर जब सीमावर्ती रक्सौल में आयी, तो यहां के मौजे मोहल्ला के रहनेवाले जितेंद्र के आवास पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी. इस समय तक जितेंद्र के परिजनों को इसकी जानकारी नहीं थी. घर पर जितेंद्र की बड़ी बेटी ही थी, पत्नी बच्चे को दिवाली की छुट्टी पर हॉस्टल से लाने के लिए मोतिहारी गयी थी, जबकि छोटी बेटी स्कूल गयी हुई थी. बड़ी बेटी गुड़िया को जब पिता की शहादत की बात मालूम हुई, तो वह फूट-फूट कर रोने लगी. उसे देख पर वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गयीं.

देश की सेवा
शहर के लोगों ने पहले जितेंद्र सिंह के भतीजे रवि को इस संबंध में जानकारी दी, लेकिन रवि भी जितेंद्र के घर जाकर कुछ जानकारी देने से बचता रहा. लोगों की भीड़ देखते हुए गुड़िया को एहसास हुआ कि कुछ तो हुआ है. 12 बजकर 15 मिनट पर गुड़िया घर से निकली और सड़क के पास पहुंची, किसी महिला ने उसके पिता के घायल होने की बात बतायी, तो गुड़िया यह समझ गयी कि उसके पिता अब नहीं रहे और वह सड़क पर ही रोने लगी.
बदहवास गुड़िया अपने घर गयी और डायरी से नंबर निकाल कर मां को फोन करने लगी. लोगों ने कहा कि मां को नहीं बताओ, तो उसने अपने मामा को फोन लगाना शुरू किया. मामा का नंबर भी रिसिव नहीं हो रहा था. बाद में ममेरे भाई गोलू ने फोन उठाया, तो गुड़िया कुछ कहने से पहले ही रोने लगी. उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला. फिर उसने दोबारा फोन किया और कहा कि मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है. मामा से बोलो सब लोग जल्दी रक्सौल आ जाये.
मम्मी रोहित को लेने मोतिहारी ही गयी है. उसे यह सब नहीं बताना है और जल्दी से रक्सौल आ जाना है. गुड़िया समझ नहीं पा रही थी कि किसको क्या कहें और चचेरे भाई रवि से लिपट कर रोने लगी. गुड़िया का यह हाल देखकर वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गयी. सभी लोग गुड़िया को ढांढस दिलाने की कोशिश करने लगे. धीरे-धीरे लोगों की भीड़ बढ़ती गयी.
23 साल से बीएसएफ में सेवा दे रहे थे जितेंद्र कुमार सिंह, मार्च में होना था िरटायर
पाक की ओर से की गयी फायरिंग में शहीद हुए जितेंद्र
आरएसपुरा सेक्टर के अब्दुलियन गांव में लगी थी ड्यूटी
घरवालों से बोले थे, बॉर्डर पर रोज हो रही है फायरिंग
शहादत की खबर आयी, तो
पत्नी नहीं थीं घर पर
15 साल की बड़ी बेटी को जानकारी मिली, तो रोने लगी
लाल के शहीद होने पर नम हुई चंपारण के लोगों की आंखें
सब लोग कर रहे थे जितेंद्र की बहादुरी की चर्चा
राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
शहीद जवान को शुक्रवार को जम्मू में अंतिम सलामी दी जायेगी और उसी दिन उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया जायेगा. दिल्ली से शुक्रवार को ही शव विशेष विमान से पटना पहुंचेगा और रात के लगभग सात बजे एनडीआरएफ की टीम शव लेकर उनके पैतृक गांव सिसवा पहुंचेगी, जहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जायेगा.
स्थानीय लोगों का कहना था कि शहीद जितेंद्र का अंतिम संस्कार सिसवा नहीं रक्सौल में होगा, क्योंकि शहीद के परिजन दशकों पहले सिसवा छोड़ चुके हैं.
िजतेंद्र ने अंतिम फोन में कहा था
मैं शहीद हो जाऊं, तो रोना नहीं
मोहल्ले के लोग उसे समझाने की कोशिश करने लगे, लेकिन मानो गुड़िया के मन को यह विश्वास हो गया था कि अब उसके पिता नहीं है. उसने बताया कि छह दिन पहले ही पापा बोले थे कि यदि बॉर्डर पर उन्हें गोली लग गयी और वे शहीद हो गये, तो तुम लोग नहीं रोना. वे बताये थे कि बॉर्डर पर बहुत तनाव है. गोली किसको और कब लग जाये इसकी कोई गारंटी नहीं है. गम की इस घड़ी में गुड़िया बिल्कुल अकेली थी. मां, छोटे भाई को लाने मोतिहारी गयी थी, तो छोटी बहन प्रीति स्कूल गयी थी. दादी भी घर पर नहीं थीं.

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