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सफलता शराबबंदी की : कहानी मोतिहारी से पहले थी बरबादी, शराब छोड़ी तो खरीदी जमीन
मोतिहारी : अरेराज के बीनविलया गांव निवासी 45 वर्षीय विश्वनाथ मुखिया खेती से जुड़ कर मेहनत-मजदूरी कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी कमाई से करीब तीन कठ्ठा खेती की जमीन भी खरीदी है. बतौर विश्वनाथ बताते हैं कि इससे पहले उन्होंने लाखों कमाया, लेकिन वह कुछ अर्जित नहीं कर सके. […]
मोतिहारी : अरेराज के बीनविलया गांव निवासी 45 वर्षीय विश्वनाथ मुखिया खेती से जुड़ कर मेहनत-मजदूरी कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी कमाई से करीब तीन कठ्ठा खेती की जमीन भी खरीदी है. बतौर विश्वनाथ बताते हैं कि इससे पहले उन्होंने लाखों कमाया, लेकिन वह कुछ अर्जित नहीं कर सके. कमाई का अधिकतर पैसा शराब पीने एवं घर गृहस्थी में खर्च हो जाता था. शराबबंदी के बाद विश्वनाथ को होश आया. जिसके बाद मेहनत कर वह अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.
इसी गांव के निवासी शदीक मियां को कभी भी अपने परिवार की चिंता नहीं रही. गंभीर बीमारी के कारण कुछ वर्ष पहले पत्नी ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. कहने के लिए पैसा की कमी के कारण शदीक भले ही अपनी पत्नी का इलाज नहीं करा सका. लेकिन उन दिनों भी वह रोजाना एक से डेढ़ सौ रुपये शराब पीने पर खर्च कर देता था. अरेराज चौक पर उसकी दुकान है.
शराब के लत के कारण दुकान भी मनमर्जी से ही खोलता था. उसके दो बेटा में एक विकलांग, तो दूसरे ने परिवार की आर्थिक तंगी को लेकर कम उम्र से ही कमाना शुरू कर दिया. इधर शराबबंदी के बाद शदीक के जीवन में अचानक बदलाव आया. अब शदीक का पूरा ध्यान अपने व्यवसाय पर है.
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