योग है भारतीय संस्कृति की धरोहर
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मानव को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है योग
योग है भारतीय संस्कृति की धरोहर विश्व योग दिवस के अवसर पर शिविर का आज होगा आयोजन मोतिहारी : ग से भागेगा रोग व स्वस्थ्य होगा मानव, योग के प्रति लोगों को जागरूक करने व जीवन में इसके महत्व को बताने के लिए विश्व योग दिवस के अवसर पर मंगलवार को जिला मुख्यालय के कई […]
विश्व योग दिवस के अवसर पर शिविर का आज होगा आयोजन
मोतिहारी : ग से भागेगा रोग व स्वस्थ्य होगा मानव, योग के प्रति लोगों को जागरूक करने व जीवन में इसके महत्व को बताने के लिए विश्व योग दिवस के अवसर पर मंगलवार को जिला मुख्यालय के कई स्थानों पर योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है. योग शिविर का आयोजन गांधी मैदान, एम एस कॉलेज, जिला स्कूल, अटल पार्क आदि स्थानों पर किया जा रहा है. योग शिविर की सफलता को लेकर सोमवार को प्रचार-प्रसार भी किया गया. योग के महत्व के बारे में योग विशेषज्ञों ने प्रभात खबर से खुलकर बातचीत की.
योग कल्पवृक्ष है
योगाचार्य वीरेंद्र, सदर अस्पताल
योग तो कल्पवृक्ष है. इसकी छाया में जब हम आयेंेगे तो सब कुछ भीतर ही पायेंगे. सर्दी से समाधि तक का अचूक उपाय है. रोग, शोक व भोग के बीच योग हमारी अंगुली पकड़कर मां की तरह ले चलेगा. यह तो आत्म विज्ञान, सिद्ध विद्या व भारतीय संस्कृति की अमर पूंजी है. योगामृत पिलाकर चलते फिरते मुर्दे को जिन्दादिल, मनहूस को मस्त, निराशा को आशा दे सकते है. अशांत है शांति पायेंगे, भयभीत है निर्भय बनेंगे.
क्रोध के लिए कौन सी दवा और इंजेक्शन है? योग के पास ऐसे भावानात्मक रोगों के लिए पूरा कोर्स है. पक्का उपाय है. मन विज्ञानों का खजाना है और योग मन का विज्ञान है. मन शरीर को ऑर्डर देता है और योग मन को कन्ट्रोल करता है. बे्रक लगाता है. मन की मशीन, मन के बे्रक व मन के स्क्रू गड़बड़ होने से आये दिन अनाचार, बीमारी, युद्ध व भ्रष्टाचार बढ़ रहे है. ऐसे समय में इस
आश्चर्यजनक मशीन को ठीक रखने के लिए योगाभ्यास ही एक मात्र उपाय है. आज के परिवेश में मनुष्य की पिपासा को शांत करने के लिए योग जल की तरह उपयोगी है. कोई ऐसा रोग नहीं जिसका निदान योग द्वारा संभव न हो.
योग से होती रोग से मुक्ति
आचार्य धर्मेन्द्र विद्रोही
मनुष्य के चंचल प्रवृतियों को जो रोकता है वहीं योग है. योग से मनुष्य का कायाकल्प हो जाता है. आज के भाग दौड़ की जिन्दगी में मनुष्य अपने शरीर का ख्याल नहीं रख पाता है. इसलिए शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्त रखने की कला का नाम योग है. योग आत्मा से परमात्मा को जोड़ता है. धर्म, जाति से उपर उठकर जीवन को सफलता की बुलंदियों पर योग ही ले जाता है. एक मात्र योग ही वह स्वच्छ विज्ञान है जो अनिंद्रा, ब्लड प्रेशर, मोटापा, कैंसर, मधुमेह, अस्थमा जैसे रोगों को नियंत्रित हीं नहीं करता अपितु समूल नष्ट करता है. अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर स्वस्थ्य चित स्वस्थ्य वृति और स्वस्थ्य तन-मन की अपेक्षा है.
भारतीय संस्कृति की धरोहर है योग
डॉ कर्मात्मा पाण्डेय . योग भारतीय संस्कृति की धरोहर है. जो भारतीय जनमानस में शुरू से विराजमान या अभी इसे एक नया आयाम दिया जा रहा है. स्वस्थ्य रहने के लिए योग अनिवार्य रूप से जीवन शैली में लाना होगा.
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