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46 दिन में वार्ता नहीं कर पायी लोकतांत्रिक सरकार

रक्सौल : नेपाल में प्रजातंत्र की स्थापना और राजतंत्र के खात्मे के लिए लंबा आंदोलन चला और 1990 में नेपाल प्रजातंत्र घोषित हुआ. तब राजतंत्र की समाप्ति के लिए लगभग आधा दर्जन राजनैतिक दल संगठित होकर 18 फरवरी 1990 को आंदोलन शुरू किया था. तब आंदोलन में शामिल लोगाें को भी यह उम्मीद नहीं था […]

रक्सौल : नेपाल में प्रजातंत्र की स्थापना और राजतंत्र के खात्मे के लिए लंबा आंदोलन चला और 1990 में नेपाल प्रजातंत्र घोषित हुआ.

तब राजतंत्र की समाप्ति के लिए लगभग आधा दर्जन राजनैतिक दल संगठित होकर 18 फरवरी 1990 को आंदोलन शुरू किया था. तब आंदोलन में शामिल लोगाें को भी यह उम्मीद नहीं था कि राजशाही घुटना टेकेगी और प्रजातंत्र को स्वीकार करेगी. लेकिन ऐसा हुआ और 46 दिनों तक लगातार चले आंदोलन के बाद नेपाल के राजा वीर विक्रम साहदेव प्रजातंत्र को स्वीकार कर लि ये. यानि नेपाली कैलैंडर के मुताबिक फागुन सात गते से शुरू हुआ आंदोलन चैत 24 गते को समाप्त हो गया.

अंग्रेजी महिना के अनुसार 18 फरवरी 1990 को शुरू हुआ और छह अप्रैल 1990 को समाप्त हो गया. छह अप्रैल 1990 को तत्कालिन राजा विर विक्रम साहदेव ने कांग्रेस पार्टी एवं आंदोलन में भाग ले रहे अन्य पार्टियों के नेता को छह अप्रैल को अपने घर बुलाया और औपचारिक बैठक में सरकार बनाने की बात कह डाली.
उन्होंने स्वयं नेपाल के सर्वकालिक नेता गणेशमान सिंह को प्रधानमंत्री बनने एवं सरकार चलाने की बात कहीं. तब गणेशमान सिंह ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनना है. सबों से अनुमति के बाद छह अप्रैल की रात को ही गणेशमान सिंह ने कृष्ण प्रसाद भट‍्टाराई को प्रधानमंत्री बनाने की बात कहीं. इस तरह से अंतरिम सरकार का गठन हुआ और कृष्ण प्रसाद भट‍्टाराई उसके प्रधानमंत्री बने.
राजा ने दिया था एक साल का समय
नेपाल के राजा वीर विक्रम साहदेव ने सरकार बनाने के साथ ही कहा था कि यह अंतरिम सरकार एक साल तक के लिए होगी और एक साल से पूर्व ही अंतरिम संविधान का निर्माण कर प्रजातांत्रिक सरकार के लिए चुनाव होना चाहिए. अंतरिम सरकार ने रेकॉर्ड नौ महीने में संविधान का निर्माण कर लिया और एक साल के पहले-पहले नेपाल में प्रजातांत्रिक सरकार के लिए चुनाव हो गया.
चुनाव हार गये थे प्रधानमंत्री
अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री कृष्ण प्रसाद भट‍्टाराई चुनाव हार गये थे. तब प्रजातांत्रिक सरकार के गठन के दौरान उन्होंने 1991 में गिरिजा प्रसाद कोइराला के नाम का प्रस्ताव किया और गिरिजा प्रसाद कोइराला निर्वाचित सरकार के प्रधानमंत्री बनें.
46 दिन का मधेशी आंदोलन
नेपाल में नये संविधान के लागू होने से नाराज नेपाल के 51 फीसदी मधेशीआंदोलन के रास्ता को अख्तियार किया है. हालांकि 46 दिन के इस आंदोलन में नेपाल की लोकतांत्रिक सरकार अब तक अपने ही देश के मधेशियों के साथ कोई वार्ता नहीं कर सकी है.
अब यह चर्चा है कि नेपाल का राजतंत्र 46 दिन के आंदोलन में समाप्त हो गया था और मधेशीआंदोलन को समाप्त कराने के लिए नेपाली सरकार अब तक कोई कारगार प्रयास नहीं कर पायी है.
मधेशी जनता यह कहने को विवश है कि इस प्रजातांत्रिक सरकार से बेहतर नेपाल का राजतंत्र था. जो नेपाली नागरिकों का आवाज सुनकर उनके भावना के अनुसार प्रजातंत्र को स्वीकार कर लिया था.
अब तक 50 शहीद
मधेशी आंदोलन में अब तक लगभग 50 लोग शहीद हो गये है. जबकि 1990 में प्रजातंत्र की स्थापना के लिए हुये आंदोलन में लगभग 30 लोग शहीद हुये थे.
यह भी मधेशियों के जेहन में उपज रहा है कि 46 दिन के आंदोलन और 30 शहादत के बाद जब राजतंत्र का खात्मा हो सकता है तो 46 दिन के आंदोलन और 50 शहादत होने के बाद भी नेपाल की प्रजातांत्रिक सरकार अब तक मधेशियों के अधिकार देने के लिए अपनी सहमती प्रदान नहीं कर सकी है.
सरकार ने बनाया माहौल वीरगंज को दंगाग्रस्त क्षेत्र से किया मुक्त
रक्सौल . मधेशी आंदोलन में शामिल पार्टियों की मांगों को मानते हुए सरकार ने वार्ता का माहौल बनाने के लिए वीरगंज को दंगाग्रस्त क्षेत्र से मुक्त कर दिया है.
साथ ही आंदोलनकारियों से विभिन्न बिंदुओं पर वार्ता का प्रस्ताव रखा है. ज्ञात हो कि बीते डेढ़ माह से स्थानीय प्रशासन ने सरकार के दिशा-निर्देश पर पर्सा को कर्फ्यू निषेधित व दंगाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया था.
आंदोलनकारियों ने सरकार से यह मांग किया था कि वार्ता तभी होगी जब पर्सा को दंगाग्रस्त क्षेत्र से मुक्त किया जायेगा.
जिला प्रशासन कार्यालय पर्सा ने बुधवार को वीरगंज को दंगाग्रस्त क्षेत्र से मुक्त कर दिया है.
ज्ञात हो कि मधेश आंदोलन के क्रम में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने वीरगंज को दंगाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया था.
पर्सा प्रहरी उपनिरीक्षक दिवेश लोहनी ने बताया कि पूर्व में वीरगंज में रात के 10 बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा, जबकि स्थिति सामान्य होने के कारण निषेधित व दंगाग्रस्त को हटा लिया गया है.

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