70 गुणा मिलता है फर्ज नमाज का श्वाब
तीन असरों में बंटा है रमजान
पहले असरे में रहमतों से मालामाल हुए लोग
मोतिहारी : रमजान-ए-पाक महीने के रहमत का पहला अशरा पूरा हो गया. दूसरा अशरा मगफिरत शुरू हो गया. दस दिनों का यह अशरा गुनाहों से माफी का है. अल्लाह के बंदों को चाहिए कि वह अपने गुनाहों, गलतियों के लिए खुदा कि बारगाह में हाथ फैलाकर माफी मांगें और अल्लाह की रहमत के लिए आंसू बहाएं. रमजानुल मुबारक का पाक महीना तीन अशरों में बंटा है.पहला रहमत, दूसरा मगफिरत और तीसरा जहन्नुम की आग से आजादी का है.
जामा मस्जिद के इमाम कारी जलालुद्दीन काशमी ने बताया कि रमजान को दस-दस दिनों के तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला अशरा रहमत का है जो खत्म हो गया. इस अशरे में लोगों ने खूब इबादत की और अल्लाह की रहमतों से मालामाल हुए. खुदा की सबसे ज्यादा रहमतें इस अशरे में बरसती हैं. दूसरा अशरा मगफिरत का है. जबकि तीसरा निजात का अशरा है. दूसरे अशरे में मांगी गयी दूआएं अल्लह के दरबार में अधिक पसंद की जाती है.
महीने में एक नफिल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सवाब 70 गुणा कर दिया जाता है. मक्का में नमाज पढ़ना एक लाख नमाज पढ़ने के बराबर है. इस महीने लोग उमरा करने सऊदी अरब जाते हैं, क्योंकि इस महीने में एक नमाज का सवाब 70 लाख नमाजों के बराबर है.रोजा और नमाज के बाद इस महीने अधिक से अधिक कुरान की तिलावत करें. अल्लाह को कुरान की तिलावत करने वाले और कुरान पढ़ने और सिखाने वाले बेहद पसंद हैं.