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नारी उत्थान के लिए समाज को बदलनी होगी सोच

मोतिहारी : आधी आबादी के उत्थान के लिए पुरुषों के साथ महिलाओं को अपनी सोच बदलनी होगी. इससे नारी सशक्तीकरण को बल मिलेगा. जब सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था व उनमें शिक्षा के संचार होंगे, तो समाज खुद बदल जायेगा. तब समाज निर्माण में नारी बराबरी की भागीदारी बनेंगी और राष्ट्र उन्नति के मार्ग पर प्रशस्त […]

मोतिहारी : आधी आबादी के उत्थान के लिए पुरुषों के साथ महिलाओं को अपनी सोच बदलनी होगी. इससे नारी सशक्तीकरण को बल मिलेगा. जब सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था व उनमें शिक्षा के संचार होंगे, तो समाज खुद बदल जायेगा. तब समाज निर्माण में नारी बराबरी की भागीदारी बनेंगी और राष्ट्र उन्नति के मार्ग पर प्रशस्त होंगे. नारी उत्थान के विषय पर विभिन्न संगठन व संस्था के महिलाओं ने मुखर होकर अपनी बातें रखीं. उनका कहना है कि समाज में व्याप्त नारी कुरीतियों के लिए पहले महिलाओं को खुद की इच्छाशक्ति जागृत करनी होगी. घर-आंगन में संस्कार के फूल खिलाने होंगे,

गलतियों के लिए सिर्फ बेटी को कोसना और बेटा को प्रश्रय देने की सोंच बदलनी होगी. बेटा व बेटी में भेदभाव की मांसिकता को नजर अंदाज कर सामान्य शिक्षा देना प्राथमिकता होगी. अगर किसी शिक्षण संस्थान जाने या शहर में निकलने के समय माता-पिता द्वारा जो शिक्षा बेटियों को दी जाती है वही शिक्षा बेटा को भी देना होगा. परिचर्चा में दहेज मुक्त शादी, बाल विवाह, भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों के खिलाफ सरकार की मुहिम की सराहना की गयी.

महिलाएं सशक्त होंगी ,तो समाज बेहतर होगा
जब तक महिलाएं स्वावलंबी नहीं हो जातीं, तबतक उनकी दशा व दिशा में सुधार की बात करना बेमानी होगी. महिलाएं जब सशक्त होंगी तब घर की हालत सुधरेगी. घर की हालत सुधरने से समाज बेहतर होगा. इसलिए आधी आबादी की बेहतरी के लिए सभी को काम करना होगा.
बेबी आलम, मुखिया, पूर्वी पंचायत, तुरकौलिया
महिला सुरक्षा के कानून को कठोर बनाना होगा
अभी के समय में महिला सुरक्षा एक अहम समस्या है. सुरक्षा के लिए कानून को कठोर करना पड़ेगा ताकि गलत करने की मंशा रखनेवालों में खौफ पैदा हो. जब तक खौफ पैदा नहीं होगा तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है. समाज को भी इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा और अपनी जिम्मेवारी तय करनी पड़ेगी. डॉ हिना चंद्रा, स्त्री रोग विशेषज्ञ

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