मोतिहारी : अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक समायोजन मामले में अयोग्य व्यक्तियों को सरकारी सेवा का लाभ प्रदान करने तथा संबंधित प्रतिवेदन में बड़े पैमाने पर अनियमितता व्याप्त होने को लेकर जनशिक्षा निदेशक विनोदानंद झा ने तत्कालिन डीपीओ साक्षरता सह प्रभारी डीइओ वर्षा सहाय से जवाब-तलब किया है. तत्कालिन डीइओ से पूछे गये स्पष्टीकरण में निदेशक ने कहा है कि अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक से संबंधित प्रतिवेदन फोल्डर सहित दो बार निदेशालय को उपलब्ध कराया गया है,
जिसमें कुल 190 अनुदेशकों को समायोजन के लिए योग्य मानते हुए अनुशंसा सहित सूची उपलब्ध करायी गयी है, जिसमें अनुदेशक द्वारा लगातार तीन वर्षो तक कार्यरत रहकर भुगतान प्राप्त नहीं किया गया है. जबकि इनका नाम समायोजन के लिए निदेशालय को अग्रसारित किया गया है, जो कहीं न कहीं अयोग्य व्यक्तियों को सरकारी सेवा का अनुचित लाभ दिये जाने का स्पष्ट प्रयास प्रतीत होता है. उपलब्ध करायी गयी 190 अनुदेशकों की सूची के साथ संलग्न फोल्डर को निदेशालय स्तर पर जांच के क्रम में यह पाया गया है
कि कुल 89 अनुदेशकों के फोल्डर में समायोजन को लेकर पात्रता धारण करने संबंधित साक्ष्य संलग्न नहीं है. कई फोल्डरों में एक ही पासबुक की छायाप्रति गलत तरीके से तैयार कर लगायी गयी है. इसके अलावा आपतिजनक पाये गये कुल 89 अनुदेशकों के फोल्डर में उपलब्ध साक्ष्य सूची में अंकित तथ्यों से मेल नहीं रखते है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अनुदेशक समायोजन से संबंधित प्रतिवेदन भेजने में बड़े पैमाने पर जानबुझकर त्रृटियां की गयी है. निदेशक ने 14 जुलाई तक स्पष्टीकरण का जवाब निदेशालय को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.