मायूसी. पिछले साल की तुलना में आधे किसानों ने भी नहीं कराया पंजीयन
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बाजार से सस्ता सरकार ले रही गेहूं
मायूसी. पिछले साल की तुलना में आधे किसानों ने भी नहीं कराया पंजीयन बक्सर : जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी शुरू हो चुकी है, लेकिन सरकार द्वारा तय राशि से ज्यादा खुले बाजार में गेहूं का रेट मिल रहा है, जिससे किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर न जाकर गेहूं को खुले बाजार […]
बक्सर : जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी शुरू हो चुकी है, लेकिन सरकार द्वारा तय राशि से ज्यादा खुले बाजार में गेहूं का रेट मिल रहा है, जिससे किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर न जाकर गेहूं को खुले बाजार में ही बेच रहे हैं. यही कारण है कि पिछले साल की तुलना में इस साल आधे से भी कम किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए अपना पंजीयन कराया है.
किसानों में समर्थन मूल्य को लेकर काफी आक्रोश है और वे जिला प्रशासन से मूल्य बढ़ाने की मांग भी करने लगे हैं. रविवार तक समर्थन मूल्य पर मात्र आठ केंद्रों पर 13 किसानों ने 562 क्विंटल गेहूं बेचा. हालांकि समर्थन मूल्य खरीदी 11 अप्रैल से ही शुरू हो चुकी है, लेकिन पिछले साल के आंकड़े देखते हुए इस बार भी लग रहा है कि समर्थन मूल्य कम होने के कारण गेहूं की खरीद लक्ष्य के 50 प्रतिशत भी नहीं पहुंच पायेगा.
22 केंद्रों पर 4944 किसानों ने कराया पंजीयन : जिले में गेहूं की खरीद के लिए 22 क्रय केंद्र बनाये गये हैं. इन 22 केंद्रों पर इस वर्ष 4944 किसानों ने ही समर्थन मूल्य के लिए पंजीयन कराया है. जबकि पिछले साल इतने ही केंद्रों पर खरीदी के लिए 11162 किसानों ने अपना पंजीयन कराया था. पिछले साल समर्थन गेहूं खरीदी का आंकड़ा देखा जाये, तो मात्र 678 किसानों ने 30146 क्विंटल गेहूं बेचा था. जबकि पिछले साल समर्थन मूल्य गेहूं खरीदी का लक्ष्य 13 हजार मीटरिक टन का था.
पिछले साल गेहूं की खरीदी लक्ष्य के 45 प्रतिशत तक ही पहुंच पायी थी. इस साल विभाग ने समर्थन मूल्य गेहूं खरीदी का लक्ष्य 20 हजार मीटरिक टन का रखा है. किसानों की बेरुखी काे देखते हुए इस साल भी लक्ष्य पूरा होने पर प्रश्न चिह्न लग रहा है.
बढ़ा गेहूं का रकबा, फिर भी किसानों की अरुचि : जिले में गेहूं का रकबा पिछले साल की तुलना में बढ़ा है. सूत्रों की मानें तो पिछले साल जहां गेहूं का रकबा 39128 हेक्टेयर था.
वहीं, इस साल गेहूं का रकबा 43580 हेक्टेयर है. पिछले साल गेहूं की फसल पर प्राकृतिक आपदा भी आयी थी. बेमौसम बारिश से गेहूं खराब भी हुई थी. इस साल नहरें चालू रहने से और किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा नहीं आने से गेहूं की फसल बढ़िया है. अच्छी क्वालिटी का गेहूं होने से किसानों को मानक-अमानक की परेशानी भी नहीं झेलनी होगी. बावजूद इसके किसानों की अरुचि समर्थन मूल्य को लेकर बनी हुई है.
समर्थन मूल्य कम होने से किसानों में छायी उदासी
समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग
पिछले साल की तुलना में इस साल गेहूं बहुत अच्छा आया है. ऐसे में किसान अपनी उपज का मूल्य भी ज्यादा चाहते हैं. पिछले साल जहां समर्थन मूल्य 1525 रुपये प्रति क्विंटल था. वहीं, इस साल समर्थन मूल्य 1625 रखा गया है. विभिन्न प्रखंडों के किसानों ने बताया कि इस बार गेहूं की लागत बढ़ी है. ऐसे में गेहूं का समर्थन मूल्य भी दो हजार रुपये होना चाहिए था. सब कुछ मिला कर किसान को एक क्विंटल पर मात्र 500 से 700 रुपये की बचत ही हो पा रही है, जो कि कम है.
मूल्य कम, भेजी गयी रिपोर्ट
गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य से अधिक बाजार भाव होने के चलते किसान अपना गेहूं सरकार को नहीं बेचना चाहते हैं. खरीदी के लिए टास्क फोर्स गठित की गयी है. सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी गयी है.
शिशिर कुमार ,जिला आपूर्ति पदाधिकारी, बक्सर
केंद्र की दूरी भी बनी परेशानी
सरकार ने इस बार क्रय केंद्र भी गांवों से दूर बनाये हैं. उपज को खरीदी केंद्र तक लाने पर किसानों को अतिरिक्त भाड़ा भी लग रहा है. ऐसे में किसान बाजार में व्यापारी को कम भाव पर भी देने पर मजबूर हो रहे हैं. राजपुर से आये किसान पन्नालाल यादव ने बताया कि वे 50 क्विंटल गेहूं लेकर आये थे. यदि खरीदी मंडी में ही होती, तो 500 रुपये ट्रैक्टर का भाड़ा बच जाता.
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