कोशिश. फर्जीवाड़े पर रोक के लिए स्कूली छात्रों को मिलेगा 18 अंकों का यूनिक आइडी कोड
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बच्चों के नामांकन के आंकड़े होंगे ऑनलाइन
कोशिश. फर्जीवाड़े पर रोक के लिए स्कूली छात्रों को मिलेगा 18 अंकों का यूनिक आइडी कोड सरकारी से लेकर प्राइवेट स्कूलों की आधारभूत संरचना व शिक्षकों के बारे में भी जानकारी होगी नेट पर उपलब्ध बक्सर : प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन के आंकड़े को और नामांकन में होनेवाले फर्जीवाड़े पर नकेल कसने की कवायद विभाग […]
सरकारी से लेकर प्राइवेट स्कूलों की आधारभूत संरचना व शिक्षकों के बारे में भी जानकारी होगी नेट पर उपलब्ध
बक्सर : प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन के आंकड़े को और नामांकन में होनेवाले फर्जीवाड़े पर नकेल कसने की कवायद विभाग ने शुरू कर दी है. इसके तहत जिले में सभी प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित छात्र-छात्राओं का आंकड़ा अब ऑनलाइन फीड किया
जायेगा. योजना के तहत प्रत्येक छात्र को 18 अंकों का यूनिक आइडी कोड दिया जायेगा. इससे ऐसे छात्र-छात्राओं पर नकेल कसी जायेगी, जिन्होंने एक से अधिक विद्यालयों में नामांकन लिया हो. विभागीय सूत्रों के अनुसार ‘नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन’ (न्यूपा) के पास जो आंकड़े उपलब्ध हैं, वह नामांकन के आंकड़े अभी प्रामाणिक नहीं हैं. केंद्र सरकार के आंकड़ों और राज्यों के आंकड़ों में अंतर है. इसलिए सभी प्रकार के आंकड़ों के संग्रह की व्यवस्था को समाप्त करने के लिए ‘यू-डायस’ के नाम से सॉफ्टवेयर बनाया गया है. विद्यालयों को अब तक यू-डायस में आंकड़े दर्ज करने के लिए एक प्रपत्र डाटा कैप्चर फाॅर्म दिया जाता था. अब डीसीएफ को आॅनलाइन भरा जायेगा.
इससे जल्द-से-जल्द आंकड़ा सरकार को मिल सकेगा.
क्या है यू-डायस प्रपत्र : यू-डायस प्रपत्र के अंतर्गत विद्यालय में शिक्षकों की स्थिति, वर्ग कक्ष की संख्या, सेक्शन, छात्र-छात्राओं का कोटिवार विवरण, फर्नीचर उपस्कर की स्थिति, गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करनेवाले छात्रों के नामांकन सहित अन्य जानकारी का विवरण होता है. इसे प्रपत्र में भर कर राज्य सरकार को भेजा जाता है. सरकारी, गैर सरकारी, संस्थागत व अन्य प्रकार के सभी विद्यालयाें के लिए यू-डायस प्रपत्र भरना आवश्यक है. राज्य सरकार द्वारा इस सूची को केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है. यू-डायस फॉर्मेट में स्कूल के आधारभूत संरचना के अलावे बच्चों और शिक्षकों के बारे में जानकारी शामिल रहती है. इस फॉर्मेट को सभी स्कूल संचालकों को भर कर देना होता है. उसके बाद इसे ऑनलाइन किया जाता है.
नामांकन में हो रहे फर्जीवाड़े पर लगेगी प्रभावी रोक : नामांकन की जानकारी ऑनलाइन होने के बाद बहुत हद तक फर्जी नामांकन पर रोक लग सकेगी. विभाग ने खासकर नामांकन में फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए ही यह अनिवार्य किया है. सूत्रों के अनुसार सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए जिले में प्रति सत्र में सरकारी स्कूलों में हजारों बच्चों का नामांकन फर्जी तरीके से किया जाता है. ऐसे विद्यालयों के हेडमास्टरों पर नकेल कसने के लिए यह कदम उठाया गया है. दरअसल, सरकारी स्कूलों में योजनाओं का लाभ लेने के लिए बच्चे दो-दो स्कूलों में नामांकन ले लेते हैं.
स्कूलों की संरचना शिक्षकों की जानकारी भी : सरकारी के साथ निजी विद्यालयों की आधारभूत संरचना शिक्षकों के बारे में जानकारी ऑनलाइन होगी. कोई भी कहीं भी एक क्लिक में किसी विद्यालय के बारे में जानकारी ले सकता है. पहले सिर्फ सरकारी विद्यालय की व्यवस्था खुले में थी, अब निजी विद्यालय भी दायरे में होंगे. सरकार द्वारा निर्देशित यू-डायस प्रपत्र को अधिकांश निजी विद्यालय प्रबंधन नहीं भरते हैं. जानकारों का मानना है कि इस दिशा में सरकारी तंत्र शिथिलता बरत रहे हैं. नतीजतन अभिभावकों को इसकी सही जानकारी नहीं मिल पाती.
स्कूलों में धांधली रोकने का हो रहा प्रयास
विभाग के निर्देशानुसार सभी स्कूलों से यू- डायस लिया जा रहा है. स्कूलों की जानकारी ऑनलाइन की जायेगी. फर्जी नामांकन पर रोक लगाने के लिए हर संभव प्रयास किया जायेगा. फर्जी नामांकन करनेवाले हेडमास्टरों पर कार्रवाई होगी.
मो. सईद अंसारी, डीपीओ, सर्व शिक्षा अभियान, बक्सर
अब एक बच्चा दो-दो स्कूलों में नहीं पढ़ पायेगा
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