बच्चा चोरी की घटना के बाद से डरे-सहमे रहने की बाध्यता
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अस्पताल प्रबंधक पर हमला
बच्चा चोरी की घटना के बाद से डरे-सहमे रहने की बाध्यता कहा-जान को खतरा कर्मियों की सजगता से बची जान बक्सर : अस्पताल प्रबंधक पर बच्चा चोरी की घटना के बाद चार बार जानलेवा हमला हुआ है, परंतु अस्पताल कर्मियों की सजगता से बच गये. घटना के बाद से प्रबंधक चंद्रशेखर आजाद काफी खौफजदा हैं. […]
कहा-जान को खतरा
कर्मियों की सजगता से बची जान
बक्सर : अस्पताल प्रबंधक पर बच्चा चोरी की घटना के बाद चार बार जानलेवा हमला हुआ है, परंतु अस्पताल कर्मियों की सजगता से बच गये. घटना के बाद से प्रबंधक चंद्रशेखर आजाद काफी खौफजदा हैं. घटना के संबंध में प्रबंधक ने बताया कि गुरुवार के दिन 12 मई को जब अपने कार्यालय में बैठे थे, तो दो-तीन लोग संध्या बेला में आये और इमरजेंसी वार्ड की तरफ आने को कहा. उस समय अस्पताल परिसर सुनसान था, इसलिए अन्य कमरे में मौजूद अस्पताल के दो कर्मी को साथ लेकर इमरजेंसी के पास गया और उन लोगों से पेसेंट के बारे में पूछा,
तो उन्होंने कहा कि बाहर चलिये आपसे हिसाब लेना है. नहीं जाने पर मारपीट पर उतारू हो गये. किंतु मेरे साथ खड़े दोनों कर्मियों ने उन्हें धक्का देकर हटाया और हमें पीछे हटाया. मैं पुन: कार्यालय में आया, तो खोजते हुए कई युवक लाठी-डंडे लेकर पहुंच गये. इसकी खबर पाते ही लोगों ने मुझे अस्पताल के पिछले दरवाजे से बाहर भगाया. अगले दिन 13 मई शुक्रवार को एक आवश्यक प्रसव पीड़ित महिला की सहायता के दौरान लगभग 6 बजे संध्या के समय युवक व महिलाओं
का दल लाठी-डंडा लेकर प्रसूति वार्ड में पहुंचने लगे, तो एक अस्पताल कर्मी धीरज कनौजिया ने लोगों के ऊपर आने की सूचना दी, तो मैं भाग कर नशामुक्ति केंद्र में गया और सारी बत्तियां बुझा कर अपने को ताला में बंद करवाया. वे सभी खोजते नीचे चले गये, पर सुरक्षा के लिए अब तक जिला स्वास्थ्य प्रबंधन द्वारा पहल नहीं की गयी है, जबकि सदर अस्पताल में मेरे जान को खतरा बना हुआ है.
कर्मियों ने तीन घंटे तक सदर अस्पताल में किया ताला बंद
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