ब्रह्मपुर : प्रखंड के नीम ऋषि के तपोभूमि निमेज के पावन धरती पर श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह महायज्ञ के पांचवें दिन जगतगुरु स्वामी राज नाराणाचार्य ने जन समुदाय को श्रीमद्भागवत कथा के प्रसंग में ध्रुव चरित्र, प्रह्लाद चरित्र की बहुत ही सुंदर व्याख्या की. साथ ही अहंकार की सप्रसंग व्याख्या करते हुए दक्ष प्रजापति के अहंकार एवं भगवान शिव के तिरस्कार की कथा से यह दृष्टांत दिया कि मनुष्य का अहंकार और उसका वहम दोनों ही उसके विनाश का कारण बनते है़ं
दक्ष को जब प्रजापति का पद मिल गया, तो वह भगवान से भी अपने को ऊपर समझने लगे. इसकी सुंदर व्याख्या गोस्वामी तुलसी दास ने रामचरित मानस में दी है़ भगवान खुद कहते हैं कि जिस मनुष्य को प्रभुता मिल जाती है, उसे घमंड हो ही जाता है, लेकिन जो इसे प्रभु का प्रसाद समझ समभाव रहता है, उसे समाज में परम पद की प्राप्ती होती है़