बक्सर : बिजली विभाग राजस्व वसूली और बेहतर बिजली व्यवस्था देने के लिए जिले में लगातार प्रयासरत है, लेकिन उपभोक्ताओं की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल ही उदासीन है.
जिले में कई सालों से उपभोक्ताओं को पोल से अर्थिंग नहीं मिल रही है, जिससे उपभोक्ता वैकल्पिक व्यवस्था खुद अपने घरों के हैंडपंप, सप्लाइ नल, घरों के पीलरों में तार जोड़ कर अर्थिंग की व्यवस्था किये हुए हैं. पोल से अर्थिंग नहीं मिलने के कारण अब तक शहर के कई उपभोक्ताओं की जान रिर्टनिंग करेंट लगने से हो चुकी है.
बावजूद अब भी शहर के उपभोक्ताओं को अर्थिंग की व्यवस्था नहीं मिली है. इस संबंध में विभाग बिल्कुल लापरवाह बना हुआ है. विभाग को इससे कोई लेना-देना नहीं है कि उपभोक्ता अपने घरों में किस तरह से अर्थिंग देकर बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं़
यहीं, आये दिन हाइ व लो वोल्टेज की शिकायत भी विभाग में उपभोक्ता करते रहते हैं , लेकिन इस ट्रांसफॉर्मर बदलने व अन्य कार्रवाई पर बात कर अधिकारी चुप बैठ जाते हैं, जबकि अर्थिंग गड़बड़ रहने से भी वोल्टेज हाइ व लो होते रहता है़
क्या कहते हैं प्रोजेक्ट इंजीनियर
जब प्रोजेक्ट इंजीनियर से इस संबंध में बात की गयी, तो उन्होंने गैरजिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा कि अर्थिंग की व्यवस्था कब तक हो पायेगी, इसका मुझे जानकारी नहीं है. इस पर फिलहाल हमलोगों की कोई बात नहीं हुई है. यहीं नहीं जब विभाग के अधिकारी से पूछा गया कि सरकारी विभागों पर कितना बिजली बकाया है, तो वे इसे भी बताने से इनकार कर गये.
नहीं है मेटेरियल
विभाग लगातार कई बड़े-बड़े प्रोजेक्टों काे अंतिम मूर्त देने में व्यस्त है. राजस्व को बढ़ाने के लिए लगातार छापेमारी कर उपभोक्ताओं से जुर्माना वसूल रहा है, लेकिन मामूली लागतवाला अर्थिंग की सप्लाई को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं दिख रहा है. एसडीओ अभिषेक कुमार ने बताया कि अर्थिंग का मेटेरियल पाइप, कोयला और नमक विभाग के पास नहीं है, जिससे अर्थिंग की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. इन्हीं मामूली मेटेरियल के अभाव में लोगों की जान जा रही है. लेकिन, फिर भी विभाग कुछ भी कहने से बच रहा.
क्या कहते हैं उपभोक्ता
उपभोक्ता विनोद कुमार, मनोज वर्मा, रमेश गुप्ता आदि ने बताया कि अर्थिंग की सप्लाइ नहीं होने से काफी परेशानी और खतरा बना रहता है. घरों में अर्थिंग की व्यवस्था किये जाने से घर में छोटे-छोटे बच्चों की चपेट में आने का डर बना रहता है. बच्चे खेलने के क्रम में तार को छू लेते हैं, जिससे जान जाने का खतरा बना रहता है. उपभोक्ताओं ने विभाग से अर्थिंग की व्यवस्था कराने की मांग की है.
क्या कहते हैं एसडीओ
एसडीओ अभिषेक कुमार ने बताया कि पिछले एक साल से अर्थिंग सप्लाइ बंद है. इसे लेकर काम चल रहा है, लेकिन मेटेरियल नहीं रहने से काम नहीं हो पा रहा है. अर्थिंग पाइप, कोयला और नमक की आवश्यकता होती है.
कया कहते हैं सुपरटेडेंट इंजीनियर
सुपरटेडेंट इंजीनियर आरा के साजिद अली ने प्रोजेक्ट इंजीनियर के गैर जिम्मेदाराना बयान को लेकर उनसे पूछताछ करने की बात कही है. उन्होंने बताया कि अर्थिंग की व्यवस्था को लेकर काम चल रहा है.