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गांव में सामूहिक पढ़ाई कर ढाई दर्जन युवकों ने पायी सरकारी नौकरी

बक्सर/केसठ : यदि मन में कुछ करने की इच्छा शक्ति हो, तो सफलता कदम चूमती है. ग्रामीण परिवेश में रह कर भी सरकारी नौकरियों का लक्ष्य पा लेना आकाश से तारा तोड़ने के समान है. यह सब चमत्कार केसठ के रहनेवाले दो युवाओं ने करके दिखाया है. संजीव कुमार और अखिलेश कुमार के दिमाग की […]

बक्सर/केसठ : यदि मन में कुछ करने की इच्छा शक्ति हो, तो सफलता कदम चूमती है. ग्रामीण परिवेश में रह कर भी सरकारी नौकरियों का लक्ष्य पा लेना आकाश से तारा तोड़ने के समान है. यह सब चमत्कार केसठ के रहनेवाले दो युवाओं ने करके दिखाया है.
संजीव कुमार और अखिलेश कुमार के दिमाग की उपज है केसठ में चलनेवाला ग्रुप डिसकशन व क्विज सेंटर. इस क्विज और ग्रुप डिसकशन के सहारे गांव से करीब ढाई दर्जन गुदरी के लाल विभिन्न सरकारी सेवाओं में काबिज हो चुके हैं. यह सब परिणाम देख कर गांव के युवा न सिर्फ आकर्षित हैं, बल्कि दूसरे गांवों के युवाओं के लिए भी प्रेरणास्नेत बन गये हैं.
केसठ के संजीव कुमार का चयन पहले रेलवे भरती बोर्ड अजमेर में हुआ था और उसके बाद गांव के ही अखिलेश कुमार को उसने ग्रुप डिसकशन के लाभ के बारे में बताया और फिर यहीं से ग्रुप डिसकशन व क्विज सेंटर का जन्म हो गया, जो आज उन्नति के शिखर पर रोज चढ़ता जा रहा है.
नौकरी पाये गांव के युवा इस क्विज सेंटर के संचालक बन बैठे हैं और इस क्विज सेंटर को चलाने के लिए वित्तीय मदद भी दे रहे हैं, ताकि यह क्विज सेंटर गांव के युवाओं को सरकारी नौकरी तक पहुंचने की सीढ़ी बन सके. संजीव कुमार और अखिलेश कुमार ने फिर अपनी सफलता के बाद इसकी चर्चा अपने मित्रों के बीच की और फिर दिसंबर 2006 में पुराना बाजार स्थित रमेश चौधरी के मार्केट में एक जगह ले ली गयी. इस जगह पर आधे दर्जन युवाओं की टोली बैठ कर तब से आज तक लगातार युवाओं के बीच क्विज कांटेस्ट कराने और ग्रुप डिसकशन कराने का काम कर रही है, जो सीधे तौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं के सवालों व उसके रिजनिंग के सवालों के मद्देनजर पूछे और बताये जाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि अब तक गांव के तीस युवाओं को सरकारी नौकरी में जगह मिल चुकी है.
इन्हें मिली है सफलता : झारखंड के आदित्यपुर स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के पद पर कार्यरत संजीव कुमार, भभुआ में बीसीओ के पद पर कार्यरत अखिलेश कुमार, बंगलोर में रेलवे में टीटीइ राहुल कुमार और गौतम कुमार, टेलकम विभाग में कनीय अभियंता अमित कुमार तथा लोको पायलट में गांव के आधा दर्जन युवा नौकरी पा चुके हैं. कुछ युवा नेवी और एयरफोर्स में भी जा चुके हैं. नौकरी पेशेवाले युवा जब छुट्टियों में गांव आते हैं, तो वे क्विज कांटेस्ट के सहारे सरकारी नौकरियों में किस्मत आजमानेवाले युवाओं को समय निकाल कर टिप्स देते हैं, ताकि वे भी सरकारी नौकरियों में सेवा पा सकें. क्विज में समसामयिक व सामान्य ज्ञान के भी सवाल रहते हैं, जो विशेषज्ञ के रूप में सरकारी नौकरीवाले युवा आकर देते रहते हैं.
नौकरी करनेवाले युवा देते हैं आर्थिक मदद : यह भी है कि इस क्विज और ग्रुप डिसकशन में शामिल होनेवाले युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए पहला दूसरा और तीसरा पुरस्कार भी दिया जाता है, जिसके लिए धन व पुरस्कार दोनों ही सरकारी नौकरी करनेवाले गांव के युवा इंतजाम करते हैं. साथ ही गांव के गरीबों को कागज और नोट्स देने की व्यवस्था भी वही नौकरीवाले युवा करते हैं तथा बिजली, बत्ती व अन्य खर्च भी नौकरीवाले युवा ही मिल कर वहन करते हैं.
अखिलेश ने बताया कि होनहार युवकों की पहचान कर फॉर्म भरने से लेकर किताब खरीदने, पत्रिका खरीदने में भी ग्रामीण युवाओं को मदद केंद्र से दी जाती है.बक्सर जिले का सबसे छोटा प्रखंड जो मात्र तीन पंचायतों का है. शिक्षा के क्षेत्र में समृद्ध बन गया है, जिसकी चर्चा आसपास के गांवों समेत दूर-दूर तक फैलने लगी है. राकेश कुमार, राहुल दत्त द्विवेदी, गौतम प्रसाद, मनीष कुमार समेत अन्य युवाओं के साथ संजीव कुमार ने जो सेंटर खोला है. वह आज ज्ञान ज्योति के रूप में युवाओं के लिए जल रही है. यहां से न जाने और कितने युवा सरकारी नौकरी जैसे पहाड़ पर चढ़ने में सफल होंगे यह वक्त बतायेगा.

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