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बेमौसम बारिश से आलू को नुकसान, रबी को लाभ

बक्सर : बेमौसम बारिश ने जहां नगर की सूरत बिगाड़ दी है. वहीं, किसानों के चेहरे पर मिला जुला-असर दिखाया है. वर्षा एक तरफ रबी फसलों के लिए सोने पर सुहाग साबित हुई है. वहीं, दूसरी तरफ खलिहान में काट कर रखी गयी फसल पर बुरा असर डाला है. बारिश को लेकर किसानों के चेहरे […]

बक्सर : बेमौसम बारिश ने जहां नगर की सूरत बिगाड़ दी है. वहीं, किसानों के चेहरे पर मिला जुला-असर दिखाया है. वर्षा एक तरफ रबी फसलों के लिए सोने पर सुहाग साबित हुई है. वहीं, दूसरी तरफ खलिहान में काट कर रखी गयी फसल पर बुरा असर डाला है. बारिश को लेकर किसानों के चेहरे पर उदासी के भाव है. कृषि विभाग भी एकाध फसल को छोड़ शेष फसलों के लिए इस वर्षा को फायदेमंद मान रहा है.
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक डॉ देव करण
गेहूं-रबी में गेहूं की फसल के लिए यह हल्की बारिश सोने पर सुहाग साबित हुई है. किसानों को खेतों की एक पटवन की चिंता समाप्त हो गयी है. इस हल्की बारिश से 15-25 दिनों से अधिक के गेहूं की फसल को ज्यादा फायदा होगा. गेहूं समेत रबी फसलों के लिए वर्षा अमृत समान साबित होगी. जिले के राजपुर, इटाढ़ी, बक्सर, डुमरांव की मिट्टी में पानी सोखने की क्षमता ज्यादा होती है. गेहूं की फसल के लिए जितना पटवन चाहिए. उतनी बारिश हो गयी है. इन फसलों के साथ अभी जिन गेहूं फसलों की बोआई हुई है. उसमें भी अंकुरण तेजी से हो जायेगा.
सावधानी : जिन गेहूं की फसल की सिंचाई की जा चुकी है. विगत दो-तीन दिन पहले उसका बचाव करना होगा. यदि खेत में पानी लग गया, तो किसान उस पानी को यथाशीघ्र निकासी कर लें, जिससे फसल नष्ट होने से बच जायेगा.
आलू. इस बारिश एवं ऐसे मौसम की वजह से आलू की खेती सर्वाधिक बाधित होती है. पानी, बादल एवं पाला पूर्णत: आलू की खेती के लिए नुकसानदायक होते हैं. आलू की पत्तियों में सिकुड़न होने लगती है. आलू में झुलसा का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे आलू की पत्ती एवं डंठल काली पड़ने लगती है, लेकिन जिले में बहुत ज्यादा बारिश नहीं हुई है. आलू की खेती के लिए हल्की बारिश ज्यादा हानि नहीं पहुंचायेगी, लेकिन बादल भरे मौसम एवं पाला से झुलसा की बीमारी की संभावना बढ़ गयी है.
मटर. इस बारिश से मटर की खेती पर बाधित होगी. इसमें भी आलू की तरह ही बीमार होती है. मटर के पौधे सूख जाते हैं. फल फूल नहीं लग पाता है.
दलहन एवं तेलहन : दलहन एवं तेलहन के लिए भी यह बारिश फायदेमंद होगी. चना-मसूर के लिए बारिश का पानी फायदेमंद होता है. जनवरी के दिनों में रबी फसल के लिए प्राय: प्रतिवर्ष बारिश हो ही जाती है. इसकी अपेक्षा किसानों को अपनी अन्य फसलों के साथ चना, मसूर समेत तेलहन की फसल के लिए बारिश की जरूरत रहती है. इस हल्की बारिश ने उस जरूरत को पूरा कर दिया है. जिन तेलहन फसल में फूल लग चुके हैं, उस फूल पर इस मौसम में लाही नामक बीमारी का प्रकोप ज्यादा हो जाता है, लेकिन इस बारिश से फूल पर लगने वाले लाही समाप्त हो जाते हैं.
क्या कहती हैं सहायक निबंधक लवली
लवली ने बताया कि धान की खरीदारी अभी बाधित नहीं हुई है. इस बारिश की वजह से धान की खरीद अभी भी पैक्सों के माध्यम से जारी है. 5540 क्विंटल की खरीदारी हो चुकी है. सरकार द्वारा तीन सौ रुपये अनुदान की घोषणा के बाद खरीदारी जोरों पर है.

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