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बक्सर निवासी एमवीआइ सुनील पांडेय की मौत

पूर्णिया में एवीआइ के पद पर तैनात सुशील पांडेय की सड़क हादसे में मौत हो गयी. वे वाहनों की चेकिंग कर रहे थे. उनकी मौत से जिला प्रशासन मर्माहत है. समाहरणालय,डीटीओ कार्यालय एवं एमवीआइ कार्यालय सहित तमाम जिला प्रशासन के कार्यालय में छुट्टी दे दी गयी. कार्यालयों में काम काज ठप रहा. समाहरणालय के कर्मियों […]

पूर्णिया में एवीआइ के पद पर तैनात सुशील पांडेय की सड़क हादसे में मौत हो गयी. वे वाहनों की चेकिंग कर रहे थे. उनकी मौत से जिला प्रशासन मर्माहत है. समाहरणालय,डीटीओ कार्यालय एवं एमवीआइ कार्यालय सहित तमाम जिला प्रशासन के कार्यालय में छुट्टी दे दी गयी. कार्यालयों में काम काज ठप रहा. समाहरणालय के कर्मियों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा.

बक्सर/पूर्णिया : जलालगढ़ सीमा स्थित पुरानी पेपर मिल के पास शुक्रवार की सुबह सड़क दुर्घटना में पूर्णिया के एमवीआइ बक्सर निवासी सुशील कुमार पांडेय सहित कांस्टेबल चंदन सिंह की मौत हो गयी. एनएच-57 पर एमवीआइ अधिकारी की जीप की ट्रक से टक्कर हो गयी. जीप का इंजन ट्रक के आगे घुसा हुआ था. स्थानीय लोगों और जलालगढ़ थाने की पुलिस ने जीप को ट्रक से अलग किया.
हादसे में कांस्टेबल चंदन सिंह की मौत हो गयी. जीप के अंदर एमवीआइ एवं चालक गुड्डू फंसे हुए थे. लोगों ने डेढ़ घंटे के बाद एमवीआइ सुशील कुमार पांडेय तथा चालक को निकाला. दोनों को इलाज के लिए पूर्णिया भेजा गया. इसी दौरान रास्ते में सुशील कुमार पांडेय की मौत हो गयी.
* फोन आने पर चहक उठती थीं बेटियां
सृष्टि (12) और जाह्नवी (6)अपनी मां के साथ पटना के आशियाना स्थित राम नगरी में रहती हैं. पापा सुशील पांडेय एमवीआइ थे, जिनकी पूर्णिया में पोस्टिंग थी. हफ्ते, दो हफ्ते पर घर आते और दोनों नन्हीं बेटियां खूब नाज-ओ नखरे दिखातीं. खेलतीं, एक-दूसरे की शिकायत करतीं.
कभी चॉकलेट की जिद तो कभी नये पोशाक की. जब तक पापा घर पर रहते, कोना-कोना चहकता और खिलखिलाता रहता. जब वह ड्यूटी पर चले जाते, तो हमेशा उनके फोन का इंतजार रहता था. छोटी बेटी जाह्नवी ज्यादा तंग करती, पापा भी उसे हमेशा मिस करते. ड्यूटी के दौरान जब भी थोड़ा फुरसत मिलता घर पर फोन करके बेटी से बात करना नहीं भूलते. इस छोटे से परिवार की जिंदगी की गाड़ी खुशहाली के टै्रक पर चल रही थी कि अचानक एक हादसे ने सब कुछ उजाड़ दिया. सुशील पांडेय दुर्घटना के शिकार हुए और दर्दनाक मौत ने पूरे परिवार को गम और आंसू में डूबो दिया.
जी हां! यह सब कुछ शुक्रवार की भोर में हुआ. सुबह के 7.30 बजे थे. श्री पांडेय की पत्नी बिंदु दोनों बेटियों के साथ घर में मौजूद थी. अचानक घर का फोन बजा और एक रिश्तेदार से पति की मौत की मनहूस खबर मिली. वह फोन पर चीख पड़ी, बदहवासी ने उन्हें घेर लिया, वह जमीन पर गिर पड़ी, उनकी दुनिया उजड़ चुकी थी. आंसू और पछतावे के सिवा कुछ भी पास नहीं था.
सुहाग मिट चुका था, जिंदगी वीरान हो चली थी. सबसे बड़ा सवाल बेटियों के खुशियों का था. गुरुवार की रात को दोनों ने पापा से फोन पर बात की थी. लंबी बात हुई थी, पत्नी ने भी बात की थी. वह जल्द ही पटना आनेवाले थे. लेकिन अब उम्मीद टूट चुक थी, सपने चकनाचूर हो गये थे. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि बेटियों को कैसे बताएं कि उनका सहारा छिन गया है. उन्होंने किसी तरह से खुद को संभाला और अपने रिश्तेदार को बुला कर बेटियों को दूसरे के घर पर भेज दिया.
पूरे दिन नात-रिश्तेदारों का आना जाना लगा रहा. जो नहीं आ सके, वे फोन पर हाल जानते रहे. मूल रूप से बक्सर के इटारी थाना क्षेत्र के मिलहर के रहनेवाले सुशील अपने चार भाइयों में सबसे छोटे थे. घरवाले पूर्णिया जाने की तैयारी में थे, लेकिन इस बीच पता चला कि गांव के ही एक लोग पूर्णिया में हैं. वह घटनास्थल पर पहुंच गये हैं. शाम को पोस्टमार्टम के बाद शव लेकर पटना के लिए चल चुके थे. शनिवार की भोर में शव के पटना पहुंचने की बात कही जा रही थी.

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