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बक्सर : रामानंद तिवारी साइकिल से करते थे चुनाव प्रचार, अखबार बांटने का भी किया था काम

मृत्युंजय सिंह बक्सर : जनीतिक जीवन में साफ-सुथरी छवि के क्रांतिकारी राजनेता स्व. रामानंद तिवारी 1977 से लेकर 1980 तक बक्सर से लोकसभा के सदस्य रहे. पहली बार वे बक्सर लोकसभा सीट से 1971 में भारतीय लोकदल से सांसद बने. इस सीट से कांग्रेस की विजय रथ को रोक कर वे राजनीति के शीर्ष सितारों […]

मृत्युंजय सिंह
बक्सर : जनीतिक जीवन में साफ-सुथरी छवि के क्रांतिकारी राजनेता स्व. रामानंद तिवारी 1977 से लेकर 1980 तक बक्सर से लोकसभा के सदस्य रहे.
पहली बार वे बक्सर लोकसभा सीट से 1971 में भारतीय लोकदल से सांसद बने. इस सीट से कांग्रेस की विजय रथ को रोक कर वे राजनीति के शीर्ष सितारों में शामिल हो गये. उन पर कभी भी दल-बदलूपन या भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे. वे अपना चुनाव प्रचार साइकिल से किया करते थे. वे चार बार विधानसभा व दो बार लोकसभा का चुनाव लड़े. 1952 के विधानसभा चुनाव का प्रचार साइकिल से किया. इसके बाद के शेष चुनाव में उन्होंने सिर्फ एक जीप का सहारा लिया.
जीवनपर्यंत उन्हें पास पैसे की कमी रही. चुनाव प्रचार के दौरान आम मतदाता इनकी झोली भर देते थे. 1952 से लेकर 1972 तक शाहपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. बिहार सरकार के पुलिस मंत्री व गृहमंत्री भी रहे. 1975 से 76 तक जीवन कारावास में बीता. 1965 व 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय स्व. मोरारजी देसाई व अन्य विपक्षी नेताओं के साथ खड़े थे. 1965 में रांची के हिंदू-मुस्लिम दंगा को रोकने में उनकी भूमिका सराहनीय रही.
बाढ़ से घिरे तथा जलमग्न गांवों के परिवारों के बीच खाद्यान्न व राहत के अन्य सामान नाव में जाकर बांटते थे. बिहार सरकार के मंत्री बनने के बाद बिहार पुलिस व जेल मेंस एसोसिएशन का गठन किया. इसके लिए गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज है. एक बार महात्मा गांधी ने उनको 29 मार्च 1947 को अपने पटना कैंप में बुलाया. इस क्रम में इन्हें गिरफ्तार करने की पुलिस की योजना थी. इनको पकड़ने के लिए बिहार सरकार ने इनाम घोषित कर रखी थी.
अखबार बांटने का काम भी किया था
20वीं शताब्दी के प्रारंभ में शाहाबाद जनपद के शाहपुर थाना के दियारा क्षेत्र के रामडिहरा गांव में रामानंद तिवारी का जन्म 1912 में हुआ. 1980 में उनका निधन हो गया. गरीब परिवार में जन्मे स्व. तिवारी कोलकाता में सर्वेंट नामक अखबार बांटने का काम भी किया. इसी दौरान वे जाने-माने गांधीवादी नेता पंडित श्याम सुंदर चक्रवर्ती के संपर्क में आये. पंडित चक्रवर्ती ने इन्हें राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति उन्मुख कर इनकी जीवनधारा ही बदल डाली.
Prabhat Khabar Digital Desk
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