11.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गंगा में प्रवाहित किये जा रहे लावारिस शव

बक्सर : भारतीय संस्कृति की अस्मिता पतित पावनी गंगा आज कचरा व गंदगी से दूषित होते जा रही है. धरती पर मनुष्यों का पाप धोनेवाली गंगा आज शहरों का कचरा बहानेवाली गंगा बन गयी है. राजा सागर के वंशज का उद्धार करने के लिए धरती पर उतरी गंगा अपने तिरस्कार पर आंसू बहा रही है. […]

बक्सर : भारतीय संस्कृति की अस्मिता पतित पावनी गंगा आज कचरा व गंदगी से दूषित होते जा रही है. धरती पर मनुष्यों का पाप धोनेवाली गंगा आज शहरों का कचरा बहानेवाली गंगा बन गयी है. राजा सागर के वंशज का उद्धार करने के लिए धरती पर उतरी गंगा अपने तिरस्कार पर आंसू बहा रही है. इतना ही नहीं अब तो मवेशियों को भी मरने के बाद लोग गंगा में परवाह करना शुरू कर दिये हैं. मानों तो मैं गंगा मां हूं, न मानो तो बहता पानी. जीवनदायिनी की दुर्दशा देख लोग यह गाना गुनगुनाने लगे हैं. बक्सर शहर के कई ऐसे घाट हैं, जहां गंगा में पैर डालते ही अज्ञात शव, माला-फूल व मलवा से टकरा जाने से रूह कांप जाता है.

लाखों की लागत से बना शवदाह गृह बेकार : गंगा के निर्मलीकरण के लिए प्रयास तो बहुत हुए, लेकिन सब कागज पर. सिंडिकेट नहर व रामरेखा घाट के निकट शहर के मुख्य नालों का पानी गिर रहा है. नाथ बाबा, रानी सती व जहाज घाट में कचरे का अंबार लगा है. स्वच्छता अभियान के तहत पूर्व में करोड़ों की योजना विफल रही है. पर्यावरण व गंगा की स्वच्छता के लिए वर्ष 2000 में लाखों रुपये से बना विद्युत शवदाह गृह बेकार हो गया है. जानकारों ने बताया कि बिहार राज्य जल पर्षद ने पटना गंगा परियोजना के तहत सामुदायिक शौचालय बनाया था. वह भी बेकार पड़ा है. संत महात्माओं ने निर्मल गंगा अविरल गंगा के लिए जन जागरण यात्रा भी निकाली. इसके बाद भी लोग गंगा को प्रदूषित करने का कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हर पल शव जलाये जा रहे हैं. लावारिस शवों को ठिकाने लगाने के लिए गंगा माता ही सहारा बनी हैं. पशुओं के शव बहाने, रासायनिक कचरा को सीधा गंगा में बहाये जाने से हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ते ही जा रही है. सूत्रों की मानें, तो गंगा के पानी का रासायनिक संतुलन बिगड़ गया है. पानी में घातक रसायन की मात्रा बढ़ती जा रही है. अब तो जलीय जीवों पर भी खतरा मंडराने लगा है. घाटों पर भी जलाने के बजाय कई शवों को गंगा में बहाया जा रहा है. सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाये गये लावारिस शव को बहा दिया जाता है. शहर के वरिष्ठ नागरिक और गंगा महाआरती के संयोजक प्रभंजन भारद्वाज ने कहा कि हर साल गंगा की महाआरती करके भी लोग इसका प्रयोजन भूल जाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें