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Bihar News: सासामुसा चीनी मिल ने नहीं लौटाया 68 करोड़ का कर्ज, सेंट्रल बैंक ने लगाया गोदाम में ताला

Bihar News: बिहार के गोपालगंज जिले में आर्थिक संकट से जूझ रही सासामुसा चीनी मिल के गोदाम पर सेंट्रल बैंक ने ताला लगा दिया है. सेंट्रल बैंक का लगभग 68 करोड़ के कर्ज को चीनी मिल ने लौटाने से इन्कार कर दिया है. चीनी मिल के खिलाफ सेंट्रल बैंक की ओर से ट्रिब्यूनल कोर्ट में मुकदमा भी दाखिल किया गया है.

संजय कुमार अभय की रिपोर्ट

बिहार के गोपालगंज जिले में आर्थिक संकट से जूझ रही सासामुसा चीनी मिल के गोदाम पर सेंट्रल बैंक ने ताला लगा दिया है. सेंट्रल बैंक का लगभग 68 करोड़ के कर्ज को चीनी मिल ने लौटाने से इन्कार कर दिया है. चीनी मिल के खिलाफ सेंट्रल बैंक की ओर से ट्रिब्यूनल कोर्ट में मुकदमा भी दाखिल किया गया है. सेंट्रल बैंक की सीवान शाखा से सासामुसा चीनी को लगभग 40 करोड़ का कर्ज दिया गया था.

कर्ज की किस्त जमा नहीं करने के कारण बैंक का एकाउंट एनपीए हो चुका था. चीनी मिल के नाम पर बैंक से कर्ज कंपनी के नाम पर प्रमोटर (डायरेक्टर) महमूद अली द्वारा लिया गया था. कर्ज की राशि नहीं लौटने के बाद बैंक की ओर से रिकवरी की कार्रवाई शुरू हो गयी है. उधर, चीनी मिल के गोदाम में ताला बंद हो जाने के कारण चीनी का ना तो उठाव हो रहा और ना ही किसानों को उनके बकाये का भुगतान हो रहा है. किसानों का लगभग 46. 36 करोड़ का बकाया है. किसान अपनी गाढ़ी कमाई का भुगतान लेने के लिए चीनी मिल का चक्कर लगा रहे हैं. मिल में कोई अधिकारी भी नहीं है कि उनको सही बात बता सके.

चीनी मिल के वायदों पर हर बार छले गये किसान

चीनी मिल के डायरेक्टरों की बातों पर किसानों ने हर बार भरोसा किया. 20 दिसंबर 2017 की रात को चीनी मिल का ब्यालर का एक्झिस्ट पाइप फटने से नौ मजदूरों की मौत के बाद फैक्टरी में तोड़-फोड़ हुई. आगजनी की गयी. उसके बाद फैक्टरी मालिक महमूद अली व उनके पुत्र खाबर अली को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

जमानत पर पांच जनवरी 2018 को रिहा होने के बाद महमृद अली कोलकाता चले गये. फैक्टरी में ताला लगा गया. उसके बाद उनके भाई साजीद अली ने फैक्टरी को चलाने की भरोसा दिया. किसानों ने भरोसा कर अपनी गाढ़ी कमाई चीनी मिल को लाकर पहुंचा दिया. परिणाम सामने है.

होली के मौके पर टेंशन में आये किसान

काला मटिहनियां के वीरेंद्र कुमार के बच्चे होली के सामान खरीदने के लिए पिछले पांच दिनों से परेशान कर रखे हैं. वीरेंद्र किसान हैं. आज उनके पास होली में बच्चों को पिचकारी तक खरीदने का पैसा नहीं है. चीनी मिल से उम्मीद टूटने के बाद पूरी तरह से परेशान हो उठे हैं.

अकेले वीरेंद्र ही नहीं बल्कि हजारों किसानों के सामने होली के मौके पर आर्थिक संकट है. हर किसान के घर में कम से कम 10 हजार रुपये का अतिरिक्त खर्चा है. किसान टेंशन में आ गये हैं. किसान अपने बच्चों के लिए पिचकारी तक खरीदने की स्थिति में नहीं हैं. चीनी मिल ने उन्हें कंगाल बना दिया है.

एक नजर सासामुसा चीनी मिल के बकाया पर

  • 2014-15 का 33.34 लाख

  • 2015-16 का 85.26 लाख

  • 2016-17 का 6.20 लाख

  • 2017-18 का 14.21 लाख

  • 2018-19 का 3096.66 लाख

26 मार्च को होनी है निलाम वाद में सुनवाई

सासामुसा चीनी मिल के विरूद्ध गन्ने का बकाया भुगतान नहीं देने के कारण ईख पदाधिकारी की ओर से जिला निलाम पत्र पदाधिकारी प्रमोद कुमार के यहां सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया गया है. जिसमें चीनी मिल को 26 जनवरी को नोटिस भेजा गया था. इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी है. चीनी मिल की ओर से जवाब नहीं मिलने पर निलाम पत्र पदाधिकारी के कोर्ट से वारंट भी जारी हो सकता है.

किसानों को भुगतान दिलाना प्राथमिकता

जिला गन्ना पदाधिकारी जय प्रकाश नारायण सिंह ने बताया कि किसानों का भुगतान कराना विभाग की प्राथमिकता है. चीनी मिल को सरकार व विभाग की ओर से भरपूर मौका दिया गया. जब मिल की ओर से भुगतान नहीं हो सका, तो सर्टिफिकेट केस किया गया है ताकि उनकी संपत्ति को निलाम कर किसानों के बकाये का भुगतान किया जा सके.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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