सहार : सरकार के द्वारा शिक्षित समाज की स्थापना करने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अनेकों योजनाओं के संचालन किया जा रहा है. लेकिन धरातल पर योजना कागज पर ही सीमित होकर रह जाती है, जिसका मुख्य कारण हैं बिहार के लचर प्रशासन व्यवस्था. क्योंकि यहां सभी योजनाओं के क्रियान्वित सही ढंग से नहीं की जा रही है
और इसका सीधा असर छोटे-छोटे बच्चों पर देखने को मिल रही है, बता दें कि शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए सरकार के द्वारा हर गांव में आंगनबाड़ी केंद्र एवं विद्यालय की स्थापना की गयी हैं लेकिन प्रशासनिक दाव पेंच के कारण शिक्षा का प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है, इससे गरीब तबके के बच्चे पढ़ने से ज्यादा काम कर दो रुपये कमाने के चक्कर में पड़ जाते हैं और सरकार की ढोल की पोल खुल जाती है. बता दें कि सोमवार के दिन कस्तूरबा विद्यालय में कस्तूरबा जयंती मनायी जा रही थी,
वही अवगीला निवासी दिनेश पासवान के 7 वर्षीय पुत्र राहुल कुमार दो रुपये की लालच में राख की ढेर से कोयला चुन रहा था, सरकार एक और नाबालिग से कार्य करना दंडनीय मानती है और दूसरी तरफ विधायक सुदामा प्रसाद के समक्ष राहुल कुमार कोयला चुनकर जीवन यापन करने की कोशिश कर रहा था. विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि नीतीश सरकार की गलत शिक्षा नीति के कारण ही ऐसी गतिविधि देखने को मिल रही है , अगर सरकार और प्रशासन पहल करे तो गरीब के बच्चे भी शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैँ.