आरा : दानापुर रेलमंडल के आरा व बक्सर सहित भोजपुरी भाषियों के लिए खुशखबरी है कि अब स्टेशन पहुंचने पर ट्रेनों की जानकारी भोजपुरी भाषा में मिलेगी. माइक से लोगों के कानों में गूजेंगी कि राउर ट्रेन फलां स्टेशन पर आवता. भोजपुरी में ट्रेनों के एनाउंसमेंट की सुविधा के लिए रेलवे बोर्ड स्तर से तैयारी […]
आरा : दानापुर रेलमंडल के आरा व बक्सर सहित भोजपुरी भाषियों के लिए खुशखबरी है कि अब स्टेशन पहुंचने पर ट्रेनों की जानकारी भोजपुरी भाषा में मिलेगी. माइक से लोगों के कानों में गूजेंगी कि राउर ट्रेन फलां स्टेशन पर आवता. भोजपुरी में ट्रेनों के एनाउंसमेंट की सुविधा के लिए रेलवे बोर्ड स्तर से तैयारी की जा रही है.
रेलवे के इस प्रयोग से गांव- देहातों से ट्रेन पकड़ने के लिए प्लेटफाॅर्म पर आनेवाले यात्रियों को राहत होगी. बिहार सहित यूपी के कुछ रेलवे स्टेशनों पर आनेवाले दिनों में भोजपुरी बोली में भी ट्रेनों की जानकारी मिलेगी. रेलवे बोर्ड आम यात्रियों की सहूलियत के लिए क्षेत्रीय भाषाओं व बोली में भी ट्रेनों की जानकारी देने पर जोर दे रहा है.
अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की तरह अब ट्रेनों का भोजपुरी में होगा एनाउंसमेंट
रेलवे बोर्ड स्तर से क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए शुरू होगी पहल
इन जगहों पर क्षेत्रीय भाषाओं में मिल रही जानकारी
वर्तमान में देश के महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु आदि प्रदेशों में स्टेशनों पर अंग्रेजी और हिंदी के अलावा स्थानीय भाषाओं में भी ट्रेनों की जानकारी दी जा रही है. इससे स्थानीय भाषाओं को जाननेवाले लोगों को राहत होती है. हालांकि दानापुर रेलमंडल के पीआरओ संजय प्रसाद ने बताया कि इस तरह की जानकारी फिलहाल उनके पास नहीं आयी है.
क्षेत्रीय भाषा में एनाउंसमेंट होने से लोगों को होगी सहूलियत
रेलवे स्टेशन परिसर में पहुंचते ही यात्रीगण कृपया ध्यान दें.. की हिंदी और अंग्रेजी में मधुर आवाज कानों में गूंजने लगती है. यह आवाज देश भर के सभी स्टेशनों एक समान गूंजती है. हिंदी और अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय भाषा में भी यह आवाज स्थानीय लोगों को आकर्षित कर रही है. आनेवाले दिनों में बिहार व पूर्वांचल के रेलवे स्टेशनों पर भी यात्रीगण रउवां सभे ध्यान देई.. की आवाज यात्रियों को भोजपुरी बोली की मिठास का अहसास करायेगी. सूत्रों का कहना है कि स्थानीय बोली से आम यात्री सीधे जुड़ते हैं. चूंकि भोजपुरी बोली अब तक अधिकृत क्षेत्रीय भाषा नहीं बन पायी है, ऐसे में रेलवे के सामने कुछ अड़चनें आ रही हैं, लेकिन इसको लेकर प्रयास जारी है.
1991 में पड़ी थी यात्रीगण कृपया ध्यान दें… की नींव
रेलवे स्टेशनों पर गूंज रही रेलवे की कंप्यूटराइज्ड आवाज की नींव 1991 में पड़ी थी. यह मधुर आवाज रेलकर्मी सरला चौधरी की है. तब वह सेंट्रल रेलवे में उद्घोषक के रूप में तैनात थीं. साथ ही आल इंडिया रेडियो से भी जुड़ी हुई थीं. रेलवे में उनकी तैनाती 1982 में एक उद्घोषक के रूप में हुई थी. 1986 में उन्हें स्थायी कर दिया गया. वर्तमान में सरला चौधरी मुंबई स्थित कल्याण स्टेशन पर स्टेशन अधीक्षक के पद पर तैनात हैं.
सेटेलाइट प्रोग्राम के तहत देशभर में पहुंचती है एक आवाज
वर्ष 1991 में ही रेलवे ने ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) के तहत सरला चौधरी की आवाज को कंप्यूटर के साथ मिक्स कर लिया. इसके बाद आवाज की प्रोग्रामिंग की गयी. इसे सेटेलाइट के जरिये देश भर के स्टेशनों से जोड़ दिया गया. स्टेशन स्थित पूछताछ कार्यालय पर तैनात रेलकर्मी को सिर्फ प्रोग्राम में ट्रेन, समय और प्लेटफाॅर्म आदि का ब्योरा दर्ज करना होता है. 1991 के पहले स्टेशन पर तैनात रेलकर्मी ही अपनी आवाज में ट्रेनों आदि की जानकारी देते थे.