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280 दिनों में 167 दिन पटरी पर नहीं दौड़ी महानंदा
संजीत उपाध्याय आरा : पटना-मुगलसराय रेलखंड से होकर पूर्वोत्तर भारत में जानेवाली महत्वपूर्ण ट्रेन महानंदा एक्सप्रेस इस साल 167 दिन अलग-अलग कारणों से रद्द कर दी गयी. इस ट्रेन पर प्रकृति आपदा की मार सबसे ज्यादा पड़ी है. 2017 में 28 फरवरी तक कुहरे की वजह से रद्द रही. जुलाई के आखिरी माह में पूर्वोत्तर […]
संजीत उपाध्याय
आरा : पटना-मुगलसराय रेलखंड से होकर पूर्वोत्तर भारत में जानेवाली महत्वपूर्ण ट्रेन महानंदा एक्सप्रेस इस साल 167 दिन अलग-अलग कारणों से रद्द कर दी गयी. इस ट्रेन पर प्रकृति आपदा की मार सबसे ज्यादा पड़ी है. 2017 में 28 फरवरी तक कुहरे की वजह से रद्द रही. जुलाई के आखिरी माह में पूर्वोत्तर भारत में आयी भयंकर बाढ़ की वजह से करीब तीन माह तक रद्द रही. अब अगले साल तक 14 फरवरी तक रद्द कर दी गयी है. ऐसे में यह ट्रेन पटरी से ज्यादा यार्ड की ही शोभा बढ़ा रही है, जिसका खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.
यह ट्रेन अलीपुरद्वार से दिल्ली के बीच चलती है. इस साल ट्रेनें अलग-अलग कारणों से सबसे ज्यादा रद्द रही. खासकर बाढ़ की वजह से पूर्वोत्तर भारत में जानेवाली सेना के लिए अति महत्वपूर्ण मानी जानेवाली ट्रेन नार्थ ईस्ट, ब्रह्मपुत्र मेल, दादर गुवाहाटी सबसे ज्यादा रद्द रही. इधर, दानापुर डिवीजन के जनसपंर्क अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि यह इस ट्रेन का संचालन हेडक्वार्टर स्तर से होता है. इसलिए डिवीजन स्तर से इस मामले पर कुछ कहा नहीं जा सकता है.
ऑटोमेटिक सिग्नल को रेलवे ने किया बंद : पटना-मुगलसराय रूट से चलनेवाली ट्रेनें अक्सर अपने समय से मुगलसराय पहुंच जाती है. पूर्व मध्य रेलवे का क्षेत्राधिकार मुगलसराय स्टेशन तक पड़ता है. मुगलसराय के बाद जिउनाथपुर से गाजियाबाद तक का सेक्शन उत्तर मध्य रेलवे जोन में पड़ता है. इलाहाबाद जोन में ट्रेनों के पहुंचते ही पहिये ठिठक जा रहे हैं.
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया इस रूट पर ट्रेनों का काफी दबाव है. हर तीन किलोमीटर पर ऑटोमेटिक सिग्नल लगा हुआ है. फिलहाल ठंड में हादसे न हो इसे देखते हुए इस सिग्नल प्रक्रिया को अर्द्धसेमी में बदल दिया गया है. इसके कारण एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच में फिलहाल दो ही गाड़ियां चल रही हैं. आम दिनों में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच तीन से चार ट्रेनें चलती थी. इसी वजह से ट्रेनें अक्सर लेट हो जा रही हैं.
इस साल सबसे ज्यादा रद्द की गयीं ट्रेनें : इस साल सबसे ज्यादा ट्रेनें रद्द की जा चुकी हैं. पूरे देश में रेलवे ट्रैक को बदलने, नॉन इंटरलॉकिंग कार्य, वाशिंग एप्रोन कार्य, बाढ़ व कुहरे की वजह से ट्रेनों को लगातार रद्द किया जा रहा है. इसके कारण यात्रियों को सबसे ज्यादा फजीहत हो रही है.
यार्ड की शोभा बढ़ा रही महानंदा : पिछले 300 दिन के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा रद्द ट्रेनों में महानंदा एक्सप्रेस है. कुहरे की वजह से दिसंबर से फरवरी तक यह ट्रेन रद्द रही. गर्मी के दिनों में कई बार रैक के अभाव में रद्द कर दी गयी. पूर्वोत्तर भारत में इस साल हुई भीषण बरसात की वजह से 30 नवंबर तक रद्द की गयी थी. इसके बाद अब कोहरे की वजह से अगले साल के 14 फरवरी रद्द रहेंगी. ऐसे में यह ट्रेन पटरी से ज्यादा यार्ड में रही.
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