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साइंस-आर्ट्स ने डुबाेया कॉमर्स ने बचायी लाज

पटना/भागलपुर: इस बार इंटर का रिजल्ट बहुत ही खराब रहा. 2015 में जहां साइंस में 89.32% और आर्ट्स में 86.46% विद्यार्थी पास हुए थे, वहीं इस बार परीक्षा में कड़ाई में होने के बाद इन संकायों में क्रमश: 30.11% और 37.13% विद्यार्थी ही सफल हो पाये. यानी तीन वर्षों में साइंस में 59.21% और आर्ट्स […]

पटना/भागलपुर: इस बार इंटर का रिजल्ट बहुत ही खराब रहा. 2015 में जहां साइंस में 89.32% और आर्ट्स में 86.46% विद्यार्थी पास हुए थे, वहीं इस बार परीक्षा में कड़ाई में होने के बाद इन संकायों में क्रमश: 30.11% और 37.13% विद्यार्थी ही सफल हो पाये. यानी तीन वर्षों में साइंस में 59.21% और आर्ट्स में 49.33% रिजल्ट गिरा है.
कॉमर्स के रिजल्ट में भी गिरावट आयी है, लेकिन साइंस और आर्ट्स की तुलना में यह गिरावट काफी कम है. 2015 में कॉमर्स में जहां 90.55% विद्यार्थी सफल रहे थे, वहीं इस बार 73.76% पास हुए हैं. यानी कॉमर्स के रिजल्ट में सिर्फ 16.79 गिरावट आयी है.

कॉमर्स में पास प्रतिशत साइंस की तुलना में करीब ढाई गुना और आर्ट्स से करीब दोगुना अधिक है. कॉमर्स के इस बार के रिजल्ट ने यह साबित कर दिया कि बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर हो या न हो, परीक्षा में नकल हो या कदाचार मुक्त परीक्षा ली जाये, रिजल्ट बेहतर ही आयेगा. प्रथम श्रेणी में पास करनेवाले कॉमर्स के परीक्षार्थियों का प्रतिशत आर्ट्स और साइंस संकाय से अधिक है. जहां साइंस में 6.74% और आर्ट्स में 8.93% ही परीक्षार्थी प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं, वहीं कॉमर्स में 16.29% छात्र प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं.

साइंस का रिजल्ट इस बार भी सबसे खराब
समिति ने परीक्षा पैटर्न में जब भी बदलाव किया, उसका सबसे ज्यादा असर साइंस के रिजल्ट पर हुआ. 2014 की बात करें, तो समिति ने इंटर की परीक्षा में ओएमआर बंद कर दिया था. इसका असर यह हुआ कि रिजल्ट में भारी गिरावट आयी थी. 2013 की तुलना में 2014 में 25.86% गिरावट आयी थी. उसी तरह समिति ने 2017 में बार कोडिंग लागू की. इससे नकल पर रोक लगी. मूल्यांकन में पैरवी भी नहीं हो पायी. इससे 2016 की तुलना में 2017 के साइंस के रिजल्ट में 36.95% गिरावट आयी है. कुछ ऐसा ही हाल आर्ट्स का भी है. आर्ट्स में 2016 की तुलना में 2017 में 19.6% रिजल्ट गिरा है.

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