भागलपुर: परिसर दर्शकों से भरा था. मंच पर चंदन तिवारी ने जब गीतों के विविध गायन शैली में जीवन के हर रंग को गीतों के जरिये नुमाया किया, तो संगीत का हर सुर लोगों के दिल पर रंग बनकर बरसा, जिसे सुनने वाला हर शख्स वाह-वाह कर उठा. अवसर था पीस सेंटर भागलपुर द्वारा कला केंद्र परिसर में परिधि सृजन मेला के तहत आयोजित संगीतमयी कार्यक्रम का.
कार्यक्रम के आरंभ में सुश्री तिवारी ने गांधी गीत ‘रघुपति राघव राजाराम व वैष्णव जन तो तेने कहिये’ गाया. इसके बाद महफिल निर्गुण के रंग में रंगने की ओर अग्रसर आया. सुश्री चंदन ने लोकगीत गायिका शारदा सिन्हा के सुर में ‘झुलनी का रंग सांचा हमार पिया’ गाया तो लोग वाह-वाह कर उठे. फिर कबीर दास द्वारा रचित निर्गुण ‘कउने ठगवा नगरिया लुटल रे’ गा कर लोगों को जीवन को एक अवसर बताते हुए सद्कर्म करते हुए परमात्मा से जुड़ने का आह्वान किया. अब महफिल अपने सवाब की ओर बढ़ने लगी थी. मिर्जा जमाल के गीत ‘हमरे अटरिया पे आजा ओ संवरिया’ गा कर सुरों की महफिल को संजीदा कर दिया. इसके बाद उन्होंने एक से बढ़ कर एक लोकगीत, बारहमासा, बिदेशिया, अवधी, पचरा, साेहर, पूरबिया, चैता, कजरी, होली, विरह गीत गाया तो लोगों ने इन गीत के जरिये अपने दिल-ओ-दिमाग में पूरी जिंदगी के रंग को जी लिया. कार्यक्रम का संचालन निराला बिदेशिया ने किया, तो संयोजन उदय जी ने किया. मौके पर डॉ योगेंद्र, राहुल, संगीता, सुषमा, ललन, कला केंद्र के प्राचार्य राम लखन सिंह, रंगकर्मी डॉ चंद्रेश, डॉ तपन घोष, डॉ किरन सिंह आदि मौजूद थे.
शिल्प कला का उद्घाटन. कला केंंद्र में बुधवार को परिधि सृजन मेला 2017 के आगाज के मौके पर विवि के कुलानुशासक डॉ योगेंद्र ने शिल्प कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. मौके पर समाजसेवी रामशरण,कलाकेंद्र के प्राचार्य रामलखन गुरुजी,परिधि के निदेशक उदय के अलावा कई गण्यमान्य लोग मौजूद थे.
टूट रहा भोजपुरी को लेकर लोगाें में व्याप्त मिथक : चंदन तिवारी
भोजपुरिया माटी में पली-बढ़ी हर दिल अजीज लोकगीत गायिका सुश्री चंदन तिवारी ने कहा कि गैर भोजपुरी भाषियों के मन में यह धारणा है कि भोजपुरी गीतों में द्विअर्थी अश्लीलता की भरमार है. उनकी यह सोच सिर्फ इसलिए है कि वह भोजपुरी को सतही रूप से जानते हैं. उनकी इसी सोच को अपने गायन शैली के जरिये तोड़ने का प्रयास कर रही हूं. सुश्री तिवारी मंगलवार को भागलपुर में आयोजित एक संगीतमयी शाम में शरीक होने आयी थी. उन्होंने कहा कि भोजपुरी परंपरा को भिखारी ठाकुर, मोती बीए, शारदा सिन्हा ने समृद्ध किया, तो संप्रति मालिनी अवस्थी, भरत शर्मा व्यास जैसे मूर्धन्य गायक इसे पुष्पित-पल्लवित कर रहे हैं. मेरा भी यही प्रयास है कि अपने गायन के जरिये भोजपुरी गीत-संगीत के जरिये लोगों के दिलों में सम्मानजनक स्थान दिला सकूं. जिस तरह से लोगों का प्यार मुझे जैसे अदना कलाकार को मिल रहा है, लगता है कि लोगों के दिलों से भोजपुरी के प्रति नकारात्मक धारणा टूट रही है.
लोकगीत गायिका शारदा सिन्हा को अपना आदर्श मानने वाली चंदन तिवारी बताती हैं कि श्रीमती सिन्हा के गीतों को सुन-सुनकर संगीत का ककहरा सीखी हूं. सुनने वालों का भी कहना है कि मेरी गायिकी में शारदाजी के गायिकी की झलक दिखती है. सुश्री चंदन बताती हैं कि वह बिहार के आरा जिले में पैदा हुई और बोकारों में पली-बढ़ी. पिता यहीं एचएससीएल में नौकरी करते थे. चंदन बताती है कि उनकी ख्वाहिश है कि वह शारदा सिन्हा की गायिकी के पदचिह्नों पर चलते हुए लता मंगेशकर जैसा नाम संगीत की दुनिया में करें.