बदहाली. स्मार्ट सिटी परियोजना शुरू में ही गड़बड़ी से भरी
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न शौचालय उपयोगी, न डस्टबीन
बदहाली. स्मार्ट सिटी परियोजना शुरू में ही गड़बड़ी से भरी भागलपुर : स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर अब तक केवल बैठक और लांचिंग ही स्मार्ट नजर आयी हैं. शहर में शुरू किये गये छोटे-छोटे काम कारगर साबित नहीं हो रहे. योजनाओं पर गंभीरता से प्लानिंग नहीं होने से आम जन को इसका लाभ मिलने से […]
भागलपुर : स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर अब तक केवल बैठक और लांचिंग ही स्मार्ट नजर आयी हैं. शहर में शुरू किये गये छोटे-छोटे काम कारगर साबित नहीं हो रहे. योजनाओं पर गंभीरता से प्लानिंग नहीं होने से आम जन को इसका लाभ मिलने से पहले ही यह बेकाम हो जा रहा है. स्मार्ट सिटी के कमोबेश सारे स्मार्ट शौचालय दम तोड़ चुके हैं.
डस्टबीन का हश्र हर सड़कों पर दिख रहा है. ओपेन जिम बनाये तो गये, लेकिन लाभप्रद साबित नहीं हो सके. अभी नगर निकाय चुनाव के कारण निवर्तमान पार्षद व्यस्त हैं और इस दिशा में आवाज उठानेवाले नहीं हैं. साथ ही सभी चीजों के लिए नगर निगम के अिधकारियों को दोषी ठहराना भी उचित नहीं. जब तक शहरवासी सजग नहीं होंगे तब तक स्मार्ट सिटी की कल्पना बेकार है.
बिन ट्रेनर ओपेन जिम बेकार
स्मार्ट सिटी के तहत सैंडिस कंपाउंड में एक छोटा सा ओपेन जिम बनाया गया. इस बात का ख्याल किये बिना कि यहां सुबह-शाम टहलने व व्यायाम करनेवालों की संख्या हजारों में होती है. जिम के लिए न कोई ट्रेनर दिया गया और न ही सुरक्षाकर्मी.
बदलते रहे डस्टबीन, गंदगी जस की तस
शहर में कई डस्टबीन लगाये गये हैं. इसका स्वरूप भी अलग-अलग है. मुख्य मार्ग पर भी छोटे-पतले ड्राम की तरह डस्टबीन लगे हैं, लेकिन इसके छोटे आकार से लोग इसका उपयोग कम ही करते हैं. कुछ जगहों पर डस्टबीन टूट गयी है, कहीं पिचक गयी है. खास बात यह कि शहर में गंदगी जस की तस रही.
शौचालय की उखड़ने लगी किवाड़ व दीवार
शहर में कुछ बायो टॉयलेट बनाये गये. इनमें कई टॉयलेट में पानी नहीं है, तो प्राय: सभी टॉयलेट गंदगी से पटा है. तिलकामांझी चौक स्थित टॉयलेट भी गंदगी से भरा रहता है. यह इतना कमजोर है कि इसकी दीवार और किवाड़ निर्माण के एक-दो महीने के भीतर ही दम तोड़ गयी.
ओपेन जिम में आमलोग व्यायाम कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से असामाजिक तत्व इसे तोड़ने में लगे थे. धीरे-धीरे जिम का सामान खुल गया या गायब हो गया. यहां पर जब तक सुरक्षा व्यवस्था नहीं होगी, तब तक ओपेन जिम या पेड़-पौधे सुरक्षित नहीं रह सकते हैं.
अमरनाथ गोयनका, कोषाध्यक्ष, सैंडिस कंपाउंड सह जयप्रकाश उद्यान विकास समिति
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