इन तमाम चीजों में जो खास चैलेंज को हमने प्राथमिकता के तौर पर लिया है, वह है परीक्षा विभाग. उक्त बातें गुरुवार को टीएमबीयू के कुलपति प्रो नलिनी कांत झा ने प्रभात खबर से खास बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि परीक्षा विभाग की समस्या जल्द दूर हो, तो छात्रों की पीड़ा समाप्त हो जायेगी. इसके लिए हमने डॉ योगेंद्र को बड़ी जिम्मेवारी सौंप दी है. वह योग्य हैं और हमें भरोसा है कि छह माह में अधिकतर समस्याएं दूर हो जायेंगी. परीक्षा विभाग में बाहरी एजेंसी काम नहीं करेगी. सारे काम विश्वविद्यालय अपने बलबूते करेगा. इस बार कॉपी की खरीदारी में विश्वविद्यालय के 20 से 25 लाख रुपये बचायेंगे.
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हमने ठाना है, सबसे पहले हो विद्यार्थियों की पीड़ा दूर
भागलपुर: मैंने देश-दुनिया की कई यूनिवर्सिटी को देखा है. बेतुकी बातें होंगी, अगर मैं यह कहूं कि इस विश्वविद्यालय को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जैसा बना दूंगा. लेकिन इतना जरूर है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कार्य-संस्कृति यहां विकसित करने का प्रयास करेंगे. पेपरलेस वर्क लागू कर पायेंगे कि नहीं, यह तो अभी बताना जल्दबाजी होगी, लेकिन कर्मचारियों […]
भागलपुर: मैंने देश-दुनिया की कई यूनिवर्सिटी को देखा है. बेतुकी बातें होंगी, अगर मैं यह कहूं कि इस विश्वविद्यालय को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जैसा बना दूंगा. लेकिन इतना जरूर है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कार्य-संस्कृति यहां विकसित करने का प्रयास करेंगे. पेपरलेस वर्क लागू कर पायेंगे कि नहीं, यह तो अभी बताना जल्दबाजी होगी, लेकिन कर्मचारियों द्वारा कांख में फाइल दबा कर इस दफ्तर से उस दफ्तर घुमने की परंपरा तोड़ने का काम जरूर करेंगे.
पेंशन की समस्या दूर करने का लगातार हो रहा प्रयास
यह बात ठीक नहीं कि कोई इस संस्थान में वर्षों तक सेवा दे और सेवानिवृत्त होने के कई वर्षों के बाद पेंशन शुरू हो. हद पार होनेवाली बात है कि सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षक या कर्मचारी से यह पूछा जाये कि उनकी सेवा का कंफरमेशन हुआ था कि नहीं. ऐसी और भी कई समस्याओं को दूर करने के लिए लगातार मीटिंग कर रहे हैं.
प्रोन्नति पर भी दे रहे हैं ध्यान
कुलपति ने कहा कि यह मालूम है कि कॉलेज के शिक्षकेतर कर्मचारी कई वर्षों से प्रोन्नति का इंतजार कर रहे हैं. सिंडिकेट से उनकी प्रोन्नति का निर्णय हो चुका है. जल्द ही प्रोन्नति मिल जायेगी. शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया भी जल्द शुरू कर दी जायेगी.
अपनी पिछली कहानी भी बतायी
प्रो झा ने कहा कि उनके पिता शिक्षक थे. कोई सहारा नहीं था. मेहनत में कभी कमी नहीं की. जहां गया, लोगों ने मदद की. राजनीति विज्ञान के शिक्षक प्रो झा ने कहा कि ज्योतिष का भी ज्ञान प्राप्त किया. इस पर किताबें लिखी. मेरी लिखी कई किताबें पोंडिचेरी में रखी हुई हैं. सारी किताबें लाकर यहां छात्रों के लिए नि:शुल्क रूप से डिस्प्ले करना है. बच्चे पढ़ें, और एक शिक्षक का क्या उद्देश्य हो सकता है.
जो शायद कम ही लोग जानते हैं
स्थापना काल से अब तक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के स्थायी कुलपति प्रो नलिनी कांत झा हैं. पाेंडिचेरी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी, यूपीएससी आदि से जुड़े हैं. इंगलिश, हिंदी, मैथिली, उर्दू, अरबी व संस्कृत भाषा के अच्छे जानकार हैं.
थीसिस में कॉपी-पेस्ट नहीं चलेगा
प्रो झा ने कहा कि शोधार्थी अपने थीसिस में कॉपी-पेस्ट नहीं कर पायेंगे. इसके लिए एक सॉफ्टवेयर ला रहे हैं, जिसका नाम है ‘टर्न इट ऑन’. इसमें थीसिस का पूरा मेटेरियल डालते ही यह बता देगा कि छात्र ने कितना प्रतिशत कॉपी-पेस्ट किया है. 30 प्रतिशत से ज्यादा कॉपी-पेस्ट करने पर खुद ही रिजेक्ट हो जायेगा. विवि के लिए एक ऑफिसर की तलाश कर रहे हैं, जो आइटी के एक्सपर्ट हों.
कॉलेज व पीजी विभाग में खुद क्लास लूंगा
प्रो झा ने कहा कि मैं खुद कॉलेज व पीजी विभाग में क्लास लूंगा. क्लास में जाने से कतरानेवाले शिक्षकों के बीच इससे एक मैसेज जायेगा. छात्रों को भी लाभ होगा. प्रयास होगा कि सप्ताह में दो क्लास लूं.
अपना समझ कर लोग दबाव तो डालेंगे?
प्रो झा का कहना था कि यह सच है कि यहां उनका घर है. लाजिमी है कि लोग घरेलू संबंध बता कर कुछ भी कराने की सोच सकते हैं. हालांकि ऐसा अभी तक नहीं हुआ है. लेकिन ऐसा होता है, तो किसी भी परिस्थिति में नहीं होने देंगे. जो संबंधी हैं, उनसे मेरा संबंध घर में है, कार्यालय में घरेलू संबंध नहीं.
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