नवगछिया : रंगरा के भगवती मैदान प्रांगण में आयोजित तीन दिवसीय नवचंडी महायज्ञ के अंतिम दिन बुधवार को स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा संतों का जन्म नहीं होता, बल्कि लोक कल्याण के लिए संतों का अवतरण होता है. उन्होंने कहा वैदिक पद्धति में भक्ति मार्ग सबसे श्रेष्ठ है. जब मनुष्य के अंदर में शक्ति का अभिमान होता है, तो व्यक्ति के अंदर रावण का अवतरण हो जाता है. व्यक्ति के अंदर का रावण मनुष्य को नाश की ओर लेकर जाता है.
इसलिए मनुष्य को अभिमान नहीं रखना चाहिए. उन्होंने दुर्गा चरित्र कथा के दौरान कहा- संसार में मातृभक्ति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, इसलिए शास्त्रों में माता सीता एवं मां दुर्गा को शक्ति रूप की संज्ञा दी गयी है. माता दुर्गा की आराधना मात्र से मनुष्य के जीवन का कल्याण हो जाता है. आगमानंद जी ने साधना के बारे में बताते हुए कहा आत्मा से परमात्मा के मिलन के लिए सच्ची साधना और निस्वार्थ भक्ति जरूरी है. राजघराने की मीरा जब भगवान श्रीकृष्ण की साधना में लीन हुई,
तो उन्हें लोगों ने काफी प्रताड़ित किया. उनकी सच्ची साधना की वजह से आत्मा से परमात्मा का मिलन हो गया. इस अवसर पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति नलिनीकांत झा, हिंदी विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष नृपेंद्र वर्मा, भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष जितेंद्र चौधरी, कला केंद्र के पंडित शंकर मिश्र नाहर, पूर्व डीएसपी अरविंद कुमार मिश्रा, भजन गायक आचार्य शंभु नाथ वैदिक, पंडित कौशलेंद्र झा आदि मौजूद थे. आयोजन को सफल बनाने में बंटी झा, धर्मेश, दिवाकर ठाकुर, वरुण ठाकुर, कुंदन सिंह, शिव शक्ति योग पीठ के अध्यक्ष अनिमेष सिंह, कुमार साहब आदि का योगदान रहा.