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बीएयू नियुक्ति घोटाला : डॉ मेवालाल की बेल अर्जी खारिज, अब हाइकोर्ट की शरण में जायेंगे पूर्व वीसी

भागलपुर : षष्टम अपर सत्र न्यायाधीश राकेश मालवीय की अदालत ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के पूर्व वीसी व विधायक डॉ मेवालाल चौधरी की अग्रिम जमानत नामंजूर कर दी. कोर्ट में मंगलवार को मामले को लेकर अंतिम बहस हुई. दोनों पक्षों ने बीएयू में नियुक्ति घोटाले मामले में न्यायिक जांच रिपोर्ट व पुलिस द्वारा पेश […]

भागलपुर : षष्टम अपर सत्र न्यायाधीश राकेश मालवीय की अदालत ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के पूर्व वीसी व विधायक डॉ मेवालाल चौधरी की अग्रिम जमानत नामंजूर कर दी. कोर्ट में मंगलवार को मामले को लेकर अंतिम बहस हुई. दोनों पक्षों ने बीएयू में नियुक्ति घोटाले मामले में न्यायिक जांच रिपोर्ट व पुलिस द्वारा पेश की गयी केस डायरी पर जिरह की. पूर्व वीसी पक्ष के अधिवक्ताओं ने पुलिस केस डायरी में घटनास्थल को लेकर सवाल उठाये. कहा गया कि विवि में साक्षात्कार स्थल व पूर्व वीसी का चैंबर अलग-अलग है. इस कारण नियुक्ति मामले में हर समय हस्तक्षेप करने का आरोप भी केस डायरी से साबित नहीं होता है.

सरकारी पक्ष से लोक अभियोजन ने पुलिस केस डायरी में दो गवाहों की नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली होने की चर्चा होने जैसी बातों के उल्लेख के बारे में कहा. जो उनकी(पूर्व वीसी) ओर इशारा कर रहा है. पूर्व वीसी डॉ मेवालाल चौधरी के पक्ष से जिरह में हाइकोर्ट से आये अभय कुमार सिंह व वैद्यनाथ ठाकुर, जवाहर प्रसाद व ममता कुमारी ने भाग लिया, जबकि सरकार की ओर से लोक अभियोजक सत्यनारायण प्रसाद साह थे. अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद पूर्व वीसी के अधिवक्ताओं ने कहा कि वे अब अग्रिम जमानत के लिए हाइकोर्ट की शरण लेंगे.

गुमनाम खेल होनेकी ओर इशारा
लोक अभियोजक सत्य नारायण प्रसाद साह ने कहा कि न्यायिक जांच में कई आरोप लगे हैं जो पूर्व वीसी पर सीधे रिश्वत के खेल को उजागर नहीं कर रहा, लेकिन नियुक्ति की रिपोर्ट कुछ न कुछ गुमनाम खेल होने की ओर इशारा कर रही है. जिस प्रकार लोग भगवान को देख नहीं सकते, महसूस करते हैं. ठीक उसी तरह बीएयू का नियुक्ति घोटाला बड़े गोलमाल होने के बारे में साबित कर रहा है. पुलिस केस डायरी में दो गवाह भूपेंद्र सिंह व मो निजामुल हक ने यह बयान दिया है कि पूर्व वीसी के समय में नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली होने की चर्चा है.
डॉ मेवालाल को पूछताछ के लिए बुलाया गया था पर वे उपस्थित नहीं हुए. आगे कानून अपना काम करेगा. नियुक्ति में जो भी गड़बड़ी सामने आयी है, उसकी गहनता से हर बिंदू पर जांच की जा रही है. दोषी को नहीं बख्शा जायेगा.
मनोज कुमार, एसएसपी
केस डायरी में मेवालाल की भूमिका स्पष्ट नहीं
जिरह के दौरान पूर्व वीसी पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि पुलिस की केस डायरी से स्पष्ट नहीं हो रहा कि पूर्व वीसी की नियुक्ति घोटाले में भूमिका है. वह कमेटी के महज एक चेयरमैन थे तथा कमेटी के सदस्य पर नियुक्ति प्रक्रिया का काम था. पूर्व वीसी का चैंबर भी साक्षात्कार वाले स्थल से दूर था, जो पूरी प्रक्रिया में अहम भूमिका होने जैसे आरोप को खारिज कर रहा है. नियुक्ति घोटाला में न्यायिक जांच व केस डायरी पूर्व वीसी को आरोपित नहीं साबित कर पा रही है.

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