परेशानी. देश में बिहार का 27 वां स्थान,भागलपुर में 30 में 21 लाख ही बना कार्ड भागलपुर : भागलपुर में इन दिनों 112 आधार पंजीकरण केंद्र स्थायी रूप से चल रहे हैं. यह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की तरफ से चल रहे हैं. इसके अलावा भी कई केंद्र जिले में चल रहे हैं. इसके बावजूद […]
परेशानी. देश में बिहार का 27 वां स्थान,भागलपुर में 30 में 21 लाख ही बना कार्ड
भागलपुर : भागलपुर में इन दिनों 112 आधार पंजीकरण केंद्र स्थायी रूप से चल रहे हैं. यह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की तरफ से चल रहे हैं. इसके अलावा भी कई केंद्र जिले में चल रहे हैं. इसके बावजूद जिले में आधार पंजीकरण की गति धीमी है. पिछले कई वर्षों के लगातार प्रयास के बावजूद यहां अब तक 71.85 फीसदी आबादी का ही आधार कार्ड बन पाया है और 28 फीसदी आबादी बिना आधार पंजीकरण के है. प्रदेश के 38 जिलों में भागलपुर का 29वां स्थान है.
राष्ट्रीय औसत से 10.8 फीसदी कम बने आधार कार्ड. 28 फरवरी 2017 तक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के द्वारा पूरे देश में 112.25 करोड़ लोगों का आधार पंजीकरण किया गया, जो कि 2015 की अनुमानित आबादी का 87.8 फीसदी था. इस अवधि तक बिहार में केवल 8.50 करोड़ लोगों को आधार कार्ड जारी हुआ था, जो 2015 की अनुमानित आबादी (10.97 करोड़) का केवल 77 फीसदी था. 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में बिहार से नीचे केवल जम्मू कश्मीर और उत्तर पूर्व के छह राज्य असम, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश थे.
36 फीसदी अल्प वयस्क बिना आधार कार्ड के. अल्प वयस्कों में आधार कार्ड के निर्माण की गति बहुत धीमी है. प्रदेश में 28 फरवरी 2017 तक पांच से 18 वर्ष की आयु वर्ग में 2.35 करोड़ लोगों का आधार पंजीकरण हुआ था, जो 2015 के अनुमानित जनसंख्या 3.67 करोड़ का केवल 64 फीसदी है. राष्ट्रीय औसत से यह सात फीसदी कम है और एक करोड़ तीस लाख (36 फीसदी) अल्प वयस्क आबादी अभी भी बिना आधार पंजीकरण के ही है.
15 फीसदी बच्चों का पंजीकरण. पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में आधार पंजीकरण की दर और भी कम है. 2015 में प्रदेश में इनकी अनुमानित आबादी 1.35 करोड़ थी जबकि 28 फरवरी 2017 तक इनमें से केवल 20.43 लाख का आधार पंजीकरण हुआ था. इस प्रकार प्रदेश में आधार पंजीकृत बच्चों की संख्या केवल 15.1 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय औसत इसका लगभग दोगुना (29.7 फीसदी) है.
भागलपुर से बेहतर किशनगंज. आधार पंजीकरण के बारे में सबसे रोचक तथ्य यह है कि भागलपुर से बेहतर स्थिति सबसे पिछड़ा क्षेत्र माने जानेवाले जिले किशनगंज और पूर्णिया की है. किशनगंज और पूर्णिया में क्रमश: 92 और 90 फीसदी लोगों का आधार कार्ड बन चुका है, जबकि भागलपुर मेें यह केवल 71 फीसदी पर सिमटा है.
बच्चों का बाद में लिया जाता बायोमैट्रिक्स
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि बच्चों का आधार कार्ड बनवाना बेकार है, क्योंकि शारीरिक वृद्धि के साथ बायोमैट्रिक्स में भी बदलाव आते हैं. हालांकि कम लोगों को जानकारी है कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का आधार कार्ड मां-बाप के आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर बनाया जाता है. आधार पंजीकरण करते समय बच्चे का केवल पासपोर्ट फोटो लिया जाता है. तीन से पांच वर्ष फिंगर प्रिंट और आइरिस बनने का समय होता है. इसलिए पांच से छह वर्ष के बीच बच्चे का पहली बार बायोमैट्रिक्स लिया जाता है और उसे आधार नंबर के साथ जोड़ दिया जाता है. बच्चे के 15 वर्ष पूरा होने के बाद दोबारा बायोमेट्रिक्स अपडेट करने का प्रावधान है.