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भागलपुर दंगा: एचसी का मुआवजा प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार, पीड़ित को नहीं मिली राहत

पटना/भागलपुर: पटना हाइकोर्ट ने भागलपुर के दंगा पीड़ित को राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि दंगा पीड़ित को मुआवजा देना है इसलिए इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगी. इसके साथ ही कोर्ट ने इस लोकहित याचिका को खारिज कर दी. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश हेमन्त गुप्ता एवं न्यायमूर्ति सुधीर सिंह […]

पटना/भागलपुर: पटना हाइकोर्ट ने भागलपुर के दंगा पीड़ित को राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि दंगा पीड़ित को मुआवजा देना है इसलिए इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगी. इसके साथ ही कोर्ट ने इस लोकहित याचिका को खारिज कर दी. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश हेमन्त गुप्ता एवं न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. यह लोकहित याचिका पीड़ित राहत कमेटी की ओर से अधिवक्ता अताउल्लाह ने दायर की थी. उनकी दलील थी कि सभी दंगा पीड़ित के लिए मुआवजा देने की समान नीति होनी चाहिए.
लेकिन ऐसा नहीं किया गया. राज्य सरकार दंगा पीड़ित को मुआवजा देने में भेदभाव की नीति अपना रही है इसलिए कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए राज्य सरकार को उचित निर्देश दे. यह दलील अताउल्लाह ने पेश की. कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि मुअावजा का निर्धारण घटना की प्रकृति और उसकी गंभीरता को देखते हुए तय की जाती है. ऐसी स्थिति में समान नीति का निर्धारण नहीं हो सकता है.
दंगा पीड़ित की जमीन छुडाने के लिए अधिवक्ता नामित. हाल में जिला प्रशासन ने दंगा पीड़ित को उनकी जमीन वापस दिलाने के लिए अधिवक्ता को नामित किया है. यह अधिवक्ता प्रभुदेव मंडल है. प्रशासन की जांच में 26 पीड़ित की पहचान हुई है, जो व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट केस करने को तैयार होंगे. प्रशासन इन्हें मुफ्त में अधिवक्ता की सेवाएं देंगी.
291 दंगा पीड़ित पा रहे प्रत्येक माह पांच हजार पेंशन. बिहार के भागलपुर में हुए 1989 में हुए दंगा पीड़ित में 291 दंगा पीड़ित को सितंबर 2007 से ढाई हजार रुपये बाद में दिसंबर 2013 से पांच हजार रुपये पेंशन मिल रहे हैं.
भागलपुर दंगे में मरे थे 1069 लोग
24 अक्तूबर 1989 को भागलपुर में करीब एक माह तक दंगा की स्थिति रही जिसका आंशिक असर तीन माह तक रहा था. दंगे की जांच जस्टिस शम्शुल हसन और आरसीपी सिन्हा ने की थी. उनकी रिपोर्ट के मुताबिक दंगा में कुल 1981 लोग मारे गये थे. 13 जुलाई 1990 को भागलपुर डीएम के आदेश से जारी रिपोर्ट में दंगे में मरने वालों की संख्या 1069 बतायी गयी. इस दंगे में भागलपुर के 166 गांव व मोहल्ले प्रभावित हुए थे. इस तरह बांका में 105 और नवगछिया में 4 गांव मोहल्ले भी चपेट में आये थे. दंगा के दौरान धार्मिक स्थल में 45 मसजिद, 22 मंदिर, चार मजार, पांच इमामबाड़ा और एक कब्रिस्तान को क्षति हुई थी. दंगा को लेकर कुल 876 केस दर्ज हुए. दंगा पीड़ित 861 लोगों को एक लाख दस हजार रुपये का मुआवजा भी मिला. इसके बाद 844 दंगा पीड़ित को साढ़े तीन लाख का मुआवजा मिला. दंगे में 346 लोगों को सजा हो चुकी है, इनमें 107 लोगों को उम्रकैद तथा शेष को दस साल या उससे कम की सजा हुई. इसके अलावा भी कोर्ट केस चल रहा है.

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